Deep Dive with Abhinav Khare: भक्ति और प्रेम की कला सीखता है अर्जुन

जो सभी के प्रति द्वेष से मुक्त हैं और हर इंसान के लिए दया और दोस्ती का भाव रखते हैं, वे कृष्ण के प्रिय हैं। ऐसे लोग सभी प्रकार के मोह और अहंकार से मुक्त हैं।

Abhinav Khare | Published : Oct 17, 2019 4:14 PM IST / Updated: Nov 18 2019, 03:58 PM IST

अर्जुन कृष्ण से पूछता है कि कृष्ण को प्रेम करना बेहतर है या उनके अदृश्य और निराकार रूप से प्रेम करना बेहतर है। इस पर कृष्ण कहते हैं कि दोनों ही रास्तों की मंजिल एक है, फिर भी गीता में दर्शाए कृष्ण के स्वरूप के जरिए कृष्ण से प्रेम करना बेहतर है। जब आप कृष्ण को उनके ठोस रूप में पूजते हैं, तब आप बेहतर तरीके से आराधना कर पाते हैं। पूरी श्रद्धा के साथ कृष्ण का ध्यान करने पर हम अपने-आप ही उनके पास पहुंच जाते हैं। अगर हम इस तरह का ध्यान नहीं लगा सकते तब भी अपना जीवन कृष्ण के प्रति समर्पित करने पर हम उनके पास पहुंच जाते हैं। कृष्ण अर्जुन को पूर्ण योग की कला सिखाते हैं। 

Deep Dive with Abhinav Khare

यदि कोई व्यक्ति पूरे मन से सिर्फ कृष्ण का ध्यान करता है तो वह कृष्ण के लिए सबसे प्रिय हो जाता है। कृष्ण अर्जुन को एकांगी एकाग्रता की कला भी सिखाते हैं। वह उस व्यक्ति से प्यार करते हैं जो प्रतिकूल परिस्थितियों में भी शांत और स्थिर है। इस प्रकार जो इंसान खुशी और गम दोनों में समान रूप से रहता है, कृष्ण उसे सबसे अधिक प्रेम करते हैं।   

Abhinav Khare

पसंदीदा श्लोक 
सन्तुष्ट: सततं योगी यतात्मा दृढनिश्चय: |
मय्यर्पितमनोबुद्धिर्यो मद्भक्त: स मे प्रिय: ||
जो सभी के प्रति द्वेष से मुक्त हैं और हर इंसान के लिए दया और दोस्ती का भाव रखते हैं, वे कृष्ण के प्रिय हैं। ऐसे लोग सभी प्रकार के मोह और अहंकार से मुक्त हैं। वो सुख और दुःख से अछूते हैं और हर इंसान को क्षमा कर रहे हैं। ये लोग भक्ति, आत्म नियंत्रण, विश्वास और समर्पण के जरिए मन और बुद्धि दोनों के स्तर पर कृष्ण से जुड़े हुए हैं। 

 

विश्लेषण 
गीता का यह अध्याय हमें भक्ति योग की कला से अवगत कराता है। कृष्ण हमें भक्ति और प्रेम की कला सिखाते हैं और बताते हैं कि यह आसान और अधिक सुगम मार्ग है। भक्ति योग और कर्म योग बहुत हद तक समान हैं। सभी रास्ते हमें एक ही मंजिल तक ले जाते हैंः वह है जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति। कृष्ण अर्जुन को बताते हैं कि कृष्ण की पूजा करना अधिक आसान है, क्योंकि अर्जुन ने कृष्ण के मूल रूप को भी देखा है, जिस पर भरोसा करना मुश्किल है। कृष्ण की भक्ति, निष्ठा और आराधना का ज्यादा भरोसेमंद जरिया प्रदान करती है। एक व्यक्ति जिसने योग की कला में महारत हासिल की है, वह सभी को समान रूप से प्यार और सम्मान देगा, और जीवन के सुख और दुख दोनों में समान रहेगा। 
 

कौन हैं अभिनव खरे

अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विथ अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के सौ से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सक्सेजफुल डेली शो कर चुके हैं।
अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, कन्नड़ और तेलुगू भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ETH से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (MBA)भी किया है।

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