Deep Dive with Abhinav Khare: मोक्ष प्राप्ति का जरिया

श्री कृष्ण कहते हैं कि सच्ची मुक्ति जो अमर है अर्थात भगवान के साथ जुड़ जाने में है। वह कर्म को उस क्रिया के रूप में परिभाषित करते हैं, जो दुनिया को परिभाषित करती है।

Abhinav Khare | Published : Oct 11, 2019 3:29 PM IST / Updated: Nov 18 2019, 03:59 PM IST

गीता के इस अध्याय में अर्जुन कृष्ण से खुद का, भगवान का और कर्म का स्वभाव पूछता है। अर्जुन सवाल करता है कि मृत्यु के समय में भी कैसे भगवान की पूजा कर सकते हैं और उनके करीब रह सकते हैं। जवाब में श्री कृष्ण कहते हैं कि सच्ची मुक्ति जो अमर है अर्थात भगवान के साथ जुड़ जाने में है। वह कर्म को उस क्रिया के रूप में परिभाषित करते हैं, जो दुनिया को परिभाषित करती है। क्योंकि कोई भी कभी भी मृत्यु की भविष्यवाणी नहीं कर सकता है। इसलिए, यदि कोई व्यक्ति हमेशा मृत्यु के समय भगवान के बारे में सोचता है, तो वह हमेशा भगवान के साथ जुड़ा रहता है। जो लोग लगातार ध्यान लगाते हैं और भगवान के प्रति जिनका प्यार सच्चा है, उनको फिर से जन्म लेने की जरूरत नहीं है। कृष्ण का मानना है कि भगवान के लिए, चार अरब साल एक दिन के बराबर हैं। भगवान सुबह पृथ्वी पर आते हैं और शाम को खुद के अप्रकाशित स्वरूप में डूब जाते हैं। ब्रह्माण्ड के चक्र में जब चारों ओर सब कुछ नष्ट हो जाता है, तब सिर्फ यही मौलिक अवस्था बचती है। कृष्ण के अनुसार, जो इंसान इसे प्राप्त करने में सक्षम हैं वे मोक्ष को प्राप्त करते हैं। जो इंसान जीवन के अंधेरे में ही मर जाते हैं वो पुनर्जन्म लेते हैं। जीवन का ज्ञान प्राप्त करने वाले लोग मोक्ष की प्राप्ति करते हैं। 

Deep Dive With Abhinav Khare

पसंदीदा श्लोक
अनन्यचेता: सततं यो मां स्मरति नित्यश: |
तस्याहं सुलभ: पार्थ नित्ययुक्तस्य योगिन: || श्लोक  14

Abhinav Khare

हे पार्थ, उन सभी के लिए जो हमेशा मेरे बारे में सोचते हैं, अपने जीवन को मेरे लिए विशेष रूप से समर्पित करते हैं, उनके लिए मैं हमेशा प्राप्य हूं, अपने योग और वफादार विचारों के माध्यम से, वे लगातार मुझमें समाहित होते रहते हैं।

विश्लेषण

इस अध्याय में कृष्ण बताते हैं कि जन्म और मृत्यु का चक्र क्या है? और उस चक्र से कोई कैसे बच सकता है। यदि कोई दुःख और सुख दोनों से एक समान है और स्वयं और ईश्वर के मिलन में ध्यान लगाता है, तो उसे इस चक्र से मुक्ति मिलती है। हालांकि, यह केवल तभी हो सकता है जब ज्ञान का प्रकाश पाकर किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है। प्रकाश और अंधेरे की यह अवधारणा अच्छे और बुरे के चक्र का प्रतीक है। विश्वदृष्टि में चार युग शामिल हैं और यह दुनिया सच्चाई से भ्रष्टाचार की ओर बढ़ रही है। भ्रष्टाचार की अति होने पर यह चक्र फिर से शुरू होगा।

कौन हैं अभिनव खरे

अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विथ अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के सौ से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सक्सेजफुल डेली शो कर चुके हैं।
अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, कन्नड़ और तेलुगू भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ETH से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (MBA)भी किया है।

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