महाभारत के अनुसार, जब कुरुक्षेत्र के मैदान में कौरवों और पांडवों की सेना आमने-सामने हुई तो उसके पहले दोनों पक्षों के प्रमुख लोगों ने मिलकर युद्ध के कुछ नियम बनाए थे।
उज्जैन. कुरुक्षेत्र के युद्ध में किसी के साथ अन्याय न हो और निर्दोष लोगों को अपनी जान न गंवानी पड़े। इन नियमों के बारे में महाभारत के भीष्म पर्व में लिखा है, जो इस प्रकार हैं...
1. रोज युद्ध समाप्त होने के बाद दोनों पक्ष के योद्धा प्रेमपूर्ण व्यवहार करेंगे। कोई किसी के साथ छल-कपट नहीं करेगा।
2. जो वाग्युद्ध (अत्यधिक क्रोधपूर्ण बातें) कर रहे हों, उनका मुकाबला वाग्युद्ध से ही किया जाए। जो सेना से बाहर निकल गए हों, उनके ऊपर प्रहार न किया जाए।
3. रथ सवार- रथ सवार के साथ, हाथी सवार- हाथी सवार के साथ, घुड़सवार- घुड़सवार के साथ व पैदल- पैदल के साथ ही लड़ाई करेंगे।
4. जो जिसके योग्य हो, जिसके साथ युद्ध करने की उसकी इच्छा हो, वह उसी के साथ युद्ध करे। दुश्मन को पुकारकर, सावधान करके उस पर प्रहार किया जाए।
5. जो किसी एक के साथ युद्ध कर रहा हो, उस पर दूसरा कोई वार न करे। जो युद्ध छोड़कर भाग रहा हो या जिसके अस्त्र-शस्त्र और कवच नष्ट हो गए हों, ऐसे निहत्थों पर वार न किया जाए।
6. भार ढोने वाले, शस्त्र पहुंचाने वाले और शंख बजाने वालों पर प्रहार न किया जाए।