Ahoi Ashtami 2025: अहोई अष्टमी के दिन क्यों पहनी जाती है स्याहु की माला, जानिए इसका महत्व

Published : Oct 12, 2025, 11:51 PM IST
ahoi Ashtami 2025

सार

अहोई अष्टमी के दिन स्याहु की माला धारण करना संतान की दीर्घायु और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। पूजा के दौरान, यह माला देवी अहोई को अर्पित की जाती है और सिंदूर, चंदन और चावल से सजाया जाता है। तिलक और प्रणाम के बाद माला धारण करना शुभ होता है।

Ahoi Ashtami 2025: कार्तिक मास की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी मनाई जाती है। माताएं अपनी संतान की दीर्घायु और समृद्धि के लिए यह व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को अहोई माता की पूजा के बाद तारों को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करती हैं। इस दिन पूजा के दौरान स्याहु माला पहनने का विशेष महत्व है। आइए जानें अहोई अष्टमी कब है, इसका क्या महत्व है और इस दिन स्याहु माला क्यों पहनी जाती है। इसके पीछे क्या धार्मिक कारण है?

अहोई अष्टमी 2025 की तिथि

इस वर्ष, अहोई अष्टमी व्रत सोमवार, 13 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 13 अक्टूबर को प्रातः 12:24 बजे से प्रारंभ होकर 14 अक्टूबर को प्रातः 11:09 बजे तक रहेगी। इसलिए, यह व्रत 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

पूजा का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, अहोई अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:53 बजे से शाम 7:08 बजे तक रहेगा। तारों को अर्घ्य देने का समय शाम 6:17 बजे से होगा और चंद्रमा रात्रि 11:20 बजे उदय होगा। इस शुभ मुहूर्त में, महिलाएं अहोई माता की विधिवत पूजा करती हैं और अपने बच्चों की खुशहाली के लिए प्रार्थना करती हैं।

अहोई अष्टमी पर स्याहु माला धारण करने का धार्मिक महत्व क्या है?

हिंदू धर्म में, अहोई अष्टमी के दिन स्याहु माला धारण करना अत्यंत शुभ माना जाता है। स्याहु माला को दीर्घायु और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस माला को धारण करने से देवी अहोई प्रसन्न होती हैं और संतान पर आने वाले सभी कष्ट दूर होते हैं।

स्याहु माला कैसी होती है?

स्याहु माला आमतौर पर चांदी की बनी होती है। इसे छोटे-छोटे मोतियों को एक धागे में पिरोकर माला बनाई जाती है। इसे धारण करने से पहले पूजा के दौरान देवी को अर्पित करना शुभ माना जाता है।

स्याहु माला की पूजा कैसे करें?

  • अहोई अष्टमी के दिन माला पर सिंदूर और चंदन का लेप लगाएं।
  • माला पर चावल छिड़कें।
  • इसे देवी अहोई को अर्पित करें।
  • देवी पर माला रखने के बाद तिलक लगाएं।

स्याहु माला कैसे धारण करें?

  • देवी अहोई पर माला रखने और तिलक लगाने के बाद प्रणाम करें।
  • अपने बच्चों की दीर्घायु की कामना करें।
  • इसके बाद माला उतारकर स्वयं पहन लें।

Disclaimer: इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

PREV
Read more Articles on

Recommended Stories

Akhurath Chaturthi 2025: अखुरथ संकष्टी चतुर्थी कब, 7 या 8 दिसंबर? जानें मुहूर्त-मंत्र सहित पूरी विधि
Religious Story: भगवान विष्णु की कितनी पुत्रियां हैं, क्या हैं इनका नाम? जानें रोचक कथा