Ganesh Chaturthi 2025: श्रीकृष्ण पर क्यों लगा चोरी का आरोप? आप भी भूलकर न करें ये गलती

Published : Aug 21, 2025, 12:06 PM IST
ganesh chaturthi 2025

सार

Ganesh Chaturthi 2025 Date: गणेश चतुर्थी से जुड़ी अनेक मान्यताएं और परंपराएं हैं। इनमें से एक ये भी है कि इस रात को चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। ऐसा करना शुभ नहीं माना जाता। इस मान्यता से जुड़ी कुछ कथाएं भी प्रचलित हैं।

Ganesh Chaturthi 2025 Kab Hai: धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन घर-घर में भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इस बार ये पर्व 27 अगस्त, बुधवार को मनाया जाएगा। मान्यता है कि गणेश चतुर्थी की रात भूलकर भी चंद्रमा के दर्शन नहीं करना चाहिए। ऐसा करना अशुभ होता है। इस मान्यता से जुड़ी कईं कथाएं हमारे समाज में प्रचलित हैं वहीं कुछ धर्म ग्रंथों में भी बताई गई हैं। आगे जानिए गणेश चतुर्थी की रात चंद्रमा के दर्शन क्यों नहीं करना चाहिए?

ये भी पढ़ें

Ganesh Bhajan Lyrics: ये हैं श्रीगणेश के 10 सुपरहिट भजन, इन्हें सुने बिना अधूरा ये गणेश उत्सव

 

क्यों न करें गणेश चतुर्थी रात चंद्रमा के दर्शन?

धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब भगवान गणेश के शरीर पर हाथी का मुख लगाया गया तो सभी देवताओं ने उनकी पूजा की। लेकिन चंद्रमा उनके इस रूप को देखकर मंद-मंद मुस्कुराकर उपहास करने लगा क्योंकि उसे अपने रूप पर बहुत अभिमान था। ये देख श्रीगणेश ने चंद्रमा को शाम दिया ‘आज से तुम काले हो जाओगे।’ शाम मिलने से चंद्रमा को अपनी भूल पर पछतावा हुआ और उसने श्रीगणेश से क्षमा मांगी। तब श्रीगणेश ने कहा कि ‘तुम अब सूर्य के प्रकाश से जगमगाओगे। लेकिन जो भी आज के दिन (भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी) तुम्हारे दर्शन करेगा, उस पर चोरी का झूठा आरोप लगेगा।’ यही कारण है कि गणेश चतुर्थी की रात चंद्रमा के दर्शन नहीं किए जाते।

ये भी पढ़ें-

Ganesh Chaturthi 2025 Date: गणेश चतुर्थी पर कैसे करें पूजा? जानें विधि, मंत्र और मुहूर्त

 

भगवान श्रीकृष्ण पर भी लगा था चोरी का आरोप

गणेश चतुर्थी की रात चंद्रमा के दर्शन करने के कारण भगवान श्रीकृष्ण पर भी चोरी का झूठा आरोप लगा था। कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण के राज्य में सत्राजित नाम का एक व्यक्ति था, उनसे सूर्यदेवता को प्रसन्न कर स्यमंतक नाम की मणि प्राप्त की थी। वह बहुत ही चमत्कारी मणि थी। श्रीकृष्ण चाहते थे कि सत्राजित अपनी स्यमंतक मणि राजा उग्रसेन को दे दे। जब ये बात सत्राजित को पता चली तो उसने अपने भाई प्रसेन को वो मणि सुरक्षित रखने को दे दी। इसके कुछ दिनों बाद प्रसेन जंगल गया, जहां उसे शेर ने मार दिया। जब प्रसेन की कोई खबर नहीं मिली तो लोगों को लगा कि श्रीकृष्ण ने मणि के लिए प्रसेन को मार दिया है। जब श्रीकृष्ण को ये बात पता चली तो वे स्वयं जंगल में गए। जहां महाबली जामवंत की पुत्री जामवंती के पास उन्हें वह मणि मिली। मणि पाने के लिए श्रीकृष्ण और जामवंत के बीच भीषण युद्ध हुआ। जामवंत समझ गए कि श्रीकृष्ण स्वयं नारायण के अवतार हैं। जामवंत ने वह मणि श्रीकृष्ण को लौटा दी और अपनी पुत्री जामवंती का विवाह भी उनसे करवा दिया।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

PREV
Read more Articles on

Recommended Stories

Akhurath Chaturthi 2025: अखुरथ संकष्टी चतुर्थी कब, 7 या 8 दिसंबर? जानें मुहूर्त-मंत्र सहित पूरी विधि
Religious Story: भगवान विष्णु की कितनी पुत्रियां हैं, क्या हैं इनका नाम? जानें रोचक कथा