Bhishma Ashtami 2023: माघ मास में भीष्म पितामाह से जुड़े कई व्रत किए जाते हैं जैसे भीष्म द्वादशी और भीष्म अष्टमी। मान्यता के अनुसार, माघ मास में ही सूर्य के उत्तरायण होने पर भीष्म पितामाह में अपने प्राणों का त्याग किया था।
उज्जैन. महाभारत युद्ध के दौरान जब भीष्म पितामाह घायल हो गए, तब उन्होंने सूर्य के उत्तरायण होने का इतंजार किया और माघ मास में अपने प्राणों का त्याग किया। भीष्म पितामाह ने माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को अपने प्राण त्यागे थे। इस दिन भीष्म अष्टमी का व्रत किया जाता है। (Bhishma Ashtami 2023 Date) इस बार ये तिथि 28 जनवरी, शनिवार को है। इस दिन प्रत्येक हिंदू को भीष्म पितामह के निमित्त कुश, तिल व जल लेकर तर्पण करना चाहिए। इस व्रत के प्रभाव से सुंदर और गुणवान संतान की प्राप्ति होती है। आगे जानिए इस तिथि का महत्व और व्रत विधि…
जानें भीष्म अष्टमी के शुभ मुहूर्त (Bhishma Ashtami 2023 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 28 जनवरी, शनिवार की सुबह 08:43 से शुरू होकर 29 जनवरी, रविवार की सुबह 9 बजे तक रहेगी। 28 जनवरी को दिन भर अष्टमी तिथि रहेगी, इसलिए इसी दिन भीष्म अष्टमी का व्रत किया जाएगा। इस दिन अश्विनी नक्षत्र होने से सौम्य नाम का शुभ योग दिन भर रहेगा। इसके अलावा भरणी और साध्य योग भी इस दिन रहेंगे।
इस विधि से करें भीष्म अष्टमी व्रत (Bhishma Ashtami Puja Vidhi)
28 जनवरी, शनिवार की सुबह किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करें। ऐसा करना संभव न हो तो घर में स्नान मंत्र बोलकर नहा लें। नहाते समय भीष्म पितामह के निमित्त हाथ में तिल, जल आदि लेकर अपसव्य (जनेऊ को दाएं कंधे पर लेकर) तथा दक्षिण दिशा की ओर मुख करके ये मंत्र बोलकर तर्पण करें-
वैयाघ्रपदगोत्राय सांकृत्यप्रवराय च।
गंगापुत्राय भीष्माय सर्वदा ब्रह्मचारिणे।।
भीष्म: शान्तनवो वीर: सत्यवादी जितेन्द्रिय:।
आभिरभिद्रवाप्नोतु पुत्रपौत्रोचितां क्रियाम्।।
इसके बाद पुन: सव्य (जनेऊ को बाएं कंधे पर लेकर) होकर इस मंत्र से गंगापुत्र भीष्म को अर्घ्य देना चाहिए-
वसूनामवताराय शन्तरोरात्मजाय च।
अर्घ्यंददामि भीष्माय आबालब्रह्मचारिणे।।
संभव हो तो इस दिन व्रत रखें और अगले दिन पारणा करने के बाद ही भोजन करें।
भीष्म अष्टमी का महत्व (Significance of Bhishma Ashtami)
मान्यताओं के अनुसार, भीष्म अष्टमी पर जो व्यक्ति व्रत करता है उसको योग्य संतान की प्राप्ति होती है। इस दिन पितामह भीष्म के लिए तर्पण, श्राद्ध करने से पापों का नाश होता है और पितृदोष से भी मुक्ति मिलती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार…
माघे मासि सिताष्टम्यां सतिलं भीष्मतर्पणम्।
श्राद्धच ये नरा: कुर्युस्ते स्यु: सन्ततिभागिन:।।
अर्थ- जो मनुष्य माघ शुक्ल अष्टमी को भीष्म के निमित्त तर्पण, जलदान आदि करता है, उसके वर्षभर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
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