Ahoi Ashtami 2025 Date: कब करें अहोई अष्टमी व्रत? जानें डेट, पूजा विधि, मुहूर्त सहित पूरी डिटेल

Published : Oct 12, 2025, 11:27 AM IST

Ahoi Ashtami 2025 Date: अहोई अष्टमी का पर्व हर साल कार्तिक मास में किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान की उम्र लंबी होती है और घर-परिवार में खुशहाली बनी रहती है। जानें 2025 में कब करें अहोई अष्टमी व्रत?

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जानें अहोई अष्टमी से जुड़ी हर बात

Kab Kare Ahoi Ashtami Vrat 2025: कार्तिक मास में अनेक व्रत किए जाते हैं, अहोई अष्टमी भी इनमें से एक है। ये व्रत कृष्ण पक्ष की अष्टमी को किया जाता है। इस दिन अहोई माता की पूजा विशेष रूप से की जाती है। वैसे तो ये व्रत पूरे देश में किया जाता है लेकिन उत्तर भारत में इसकी सबसे अधिक मान्यता है। संतान की लंबी उम्र के लिए महिलाएं ये व्रत करती हैं। जानें 2025 में कब करें अहोई अष्टमी व्रत, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, आरती सहित पूरी डिटेल…


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कब है अहोई अष्टमी 2025?

इस बार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 13 अक्टूबर, सोमवार की दोपहर 12 बजकर 24 मिनिट से शुरू होगी, जो 14 अक्टूबर, मंगलवार की सुबह 11 बजकर 09 मिनिट तक रहेगी। अहोई अष्टमी व्रत की पूजा शाम को की जाती है और ये स्थिति 13 अक्टूबर, सोमवार को बन रही है, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा। इस दिन कईं शुभ योग बनेंगे, जिससे इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है।


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इस विधि से करें अहोई अष्टमी व्रत-पूजा

- 13 अक्टूबर, सोमवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल-चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। मन में कोई इच्छा हो तो वह भी बोलें।
- शुभ मुहूर्त में दीवार पर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाएं। ऐसा न कर पाएं तो बाजार में बने हुए चित्र लगाकर भी पूजा कर सकते हैं।
- अहोई माता को सुहाग की सामग्री जैसे चुनरी, लाल चूड़ी, मेहंदी आदि चीजें अर्पित करें। एसके बाद अबीर, गुलाल, चावल आदि चीजें चढ़ाएं।
- इस व्रत में सेह की पूजा रोली, चावल, दूध व चावल से करें। बाद में अहोई माता की कथा जरूर सुनें। बिना कथा सुनें व्रत का फल नहीं मिलता।
- परिवार की बुजुर्ग महिलाओं का आशीर्वाद लेकर भोजन करें। इसके पहले कुछ भी खाए नहीं। ऐसा संभव न हो तो फल या दूध ले सकते हैं।

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ये है अहोई माता व्रत की कथा

किसी नगर में चंपा-चमेली नाम की 2 सहेली रहती थी। दोनों की संतान नहीं थी। एक बार संतान की इच्छा से दोनों सहेलियों ने अहोई अष्टमी का व्रत किया। चंपा ने ये व्रत पूरी श्रद्धा-भक्ति से किया, लेकिन चमेली के मन में व्रत के प्रति कोई श्रद्धा नहीं थी।
प्रसन्न होकर अहोई माता ने उन्हें दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा। चमेली ने एक पुत्र मांगा जबकि चंपा ने अहोई माता से कहा जो आपकी इच्छा हो वो वरदान दीजिए। माता चंपा के मन की बात समझ गई। उन्होंने चंपा को आशीर्वाद भी दिया।
अहोई माता ने कहा ‘यहां से कुछ दूर बहुत सारे बच्चे खेल रहे हैं। तुम वहां जाकर अपनी-अपनी पसंद का बच्चा चुन सकती हो।‘ चंपा-चमेली वहां जाकर बच्चों को पकड़ने लगीं, जिससे बच्चे रोने लगे। ये देख चंपा ने बच्चे को छोड़ दिया।
लेकिन चमेली जबरदस्ती एक बच्चे को पकड़ कर ले आई। तभी वहां अहोई माता प्रकट हुई और उन्होंने चंपा से कहा ’तुम माता बनने योग्य हो। माता ने चंपा को पुत्रवती होने का वरदान दिया पर चमेली को मां बनने के लिए अयोग्य सिद्धि कर दिया।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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