Shani Jayanti 2024 Shubh Muhurat: शनि जयंती 6 जून को, जानें कैसे करें पूजा, कौन-सा मंत्र बोलें, क्या भोग लगाएं?

Published : Jun 02, 2024, 09:02 AM ISTUpdated : Jun 06, 2024, 08:11 AM IST
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सार

Kab Hai Shani Jayanti 2024: ज्येष्ठ मास की अमास्या को शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 6 जून, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन शनिदेव की पूजा विशेष रूप से की जाती है। 

Shani Jayanti 2024 Details: साल भर में शनिदेव से संबंधित कईं व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं, शनि जयंती भी इनमें से एक है। ये त्योहार हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 6 जून, गुरुवार को है। इस दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा, उपाय, मंत्र जाप आदि किए जाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से शनिदेव की कृपा हमारे ऊपर बनी रहती है। आगे जानिए शनि जयंती पर कैसे करें शनिदेव की पूजा, शुभ मुहूर्त, मंत्र आदि डिटेल…

शनि जयंती 2024 शुभ मुहूर्त (Shani Jayanti 2024 Puja Muhurat)
सुबह 10:36 से 12:20 तक
दोपहर 12:20 से 14:04 तक
दोपहर 02:04 से 03:41 तक
शाम 05:33 से 07:17 तक

शनि जयंती पर इस विधि से करें शनिदेव की पूजा (Shani Jayanti Puja Vidhi)
- शनि जयंती यानी 6 जून, गुरुवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और हाथ में जल-चावल लेकर व्रत और पूजा का संकल्प लें।
- शुभ मुहूर्त में किसी साफ स्थान पर शनिदेव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। सरसों या तिल के तेल से शनिदेव का अभिषेक करें।
- शनिदेव को काले तिल, काली उड़द, कील आदि चीजें चढ़ाएं। इस दौरान शनि मंत्रों का जाप करते रहें- ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:।
- शनिदेव को नीले फूले की माला पहनाएं और उड़द व चावल की खिचड़ी का भोग लगाएं। इसके बाद शनिदेव की आरती करें।
- इस विधि से जो व्यक्ति शनिदेव की पूजा करता है, उसकी सभी परेशानी दूर हो सकती है और बिगड़े काम भी बन सकते हैं।

भगवान शनिदेव की आरती (Shanidev Aarti Lyrics In Hindi)
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव.…
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव.…
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव.…
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव.…
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।


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