
Karwa Chauth Katha: करवा चौथ का त्यौहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव, देवी पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की पूजा करती हैं। वे पूरे दिन कुछ भी नहीं खातीं और अपने पति की लंबी उम्र और सुख की कामना करती हैं। शाम को, जब चांद निकलता है, तो महिलाएं छलनी से चांद और फिर अपने पति को देखकर अपना व्रत तोड़ती हैं।
एक समय की बात है, एक साहूकार की सात बेटियां और एक बेटा था। सभी बहनों ने करवा चौथ का व्रत रखा, लेकिन सबसे छोटी बहन भूख से व्याकुल हो गई। उसे चिढ़ाने के लिए उसके भाई ने एक पहाड़ी पर एक दीपक जलाया और कहा, "देखो, चांद निकल आया है।" बहन ने अपने भाई की बात मानकर अपना व्रत तोड़ दिया। परिणामस्वरूप, उसके पति की मृत्यु हो गई। रोते-बिलखते हुए, वह देवी पार्वती की शरण में गई। देवी ने कहा, "तुमने अधूरा व्रत किया है, इसलिए तुम्हें कष्ट हो रहा है। अब तुम पूरे विधि-विधान से व्रत करो।" बहन ने पूरे वर्ष श्रद्धापूर्वक व्रत रखा, जिससे देवी प्रसन्न हुईं और उसके पति को जीवनदान मिला।
करवा चौथ पर, महिलाएं चंद्रमा के दर्शन के बाद ही अपना व्रत तोड़ती हैं, क्योंकि चंद्रमा को सुंदरता, शांति और दीर्घायु का प्रतीक माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्रमा को पति की आयु बढ़ाने वाला और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला देवता माना जाता है। इसलिए, महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और उसके दर्शन के बाद ही अपना व्रत तोड़ती हैं, ताकि उनके पति दीर्घायु हों, स्वस्थ रहें और उनका वैवाहिक जीवन हमेशा प्रेम से भरा रहे।
करवा चौथ पर कथा सुनना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इससे व्रत पूर्ण होता है और उसका पूरा फल मिलता है। कथा सुनने से देवी पार्वती और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे पति की दीर्घायु और वैवाहिक जीवन में शांति बनी रहती है। इसके अतिरिक्त, यह कथा हमें यह भी सिखाती है कि सच्ची श्रद्धा से किया गया व्रत सदैव सफल होता है। इसलिए करवा चौथ पूजा के दौरान व्रत कथा सुनना प्रेम, विश्वास और भक्ति का प्रतीक माना जाता है।
करवा चौथ पर चंद्रमा के दर्शन का गहरा आध्यात्मिक महत्व है। हिंदू धर्म में, चंद्रमा को शीतलता, प्रेम, स्थिरता और दीर्घायु का प्रतीक माना जाता है। जब महिलाएं व्रत के बाद चंद्रमा के दर्शन करती हैं और प्रार्थना करती हैं, तो इससे उनके जीवन में शांति, संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा आती है। धार्मिक मान्यता है कि चंद्रमा भगवान शिव के माथे पर विराजमान हैं, इसलिए उनकी पूजा करने से शिव और पार्वती दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
छलनी में कई छोटे-छोटे छेद होते हैं। जब महिलाएं इससे चंद्रमा को देखती हैं, तो कई परछाइयां बनती हैं। फिर, वे उसी छलनी से अपने पति का चेहरा देखती हैं। ऐसा माना जाता है कि वे जितना ज़्यादा प्रतिबिंब देखती हैं, उनके पति की आयु उतनी ही लंबी होती है। इस अनुष्ठान के बिना करवा चौथ का व्रत अधूरा माना जाता है।
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