Mohini Ekadashi 2025: पाना चाहते हैं मोहिनी एकादशी व्रत का पूरा फल तो जरूर सुनें ये कथा

Published : May 05, 2025, 10:33 AM ISTUpdated : May 05, 2025, 11:36 AM IST
Mohini Ekadashi 2025 parna date

सार

Mohini Ekadashi 2025: वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं। मान्यता है कि भगवान विष्णु ने इसी दिन मोहिनी अवतार लिया था। जो भी लोग इस व्रत को करते हैं, उनके लिए इसकी कथा सुनना भी बहुत जरूरी है। 

Mohini Ekadashi 2025: 8 मई, गुरुवार को मोहिनी एकादशी का व्रत किया जाएगा। 8 मई को मोहिनी एकादशी व्रत करने के बाद अगले दिन यानी 9 मई को व्रत का पारणा किया जाएगा। इस व्रत का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है। ये व्रत भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार से जुड़ा है। इस व्रत से जुड़ी एक प्राचीन कथा भी है। जो लोग मोहिनी एकादशी का व्रत करते हैं, उनके लिए ये कथा सुनना भी बहुत जरूरी है। इस कथा को सुने बिना व्रत का पूरा फल नहीं मिलता, ऐसा ग्रंथों में बताया गया है। आगे पढ़ें मोहिनी एकादशी व्रत की कथा…

मोहिनी एकादशी व्रत की कथा

  1. किसी समय भद्रावती नाम का एक नगर था। वहां धनपाल नाम का एक वैश्य यानी व्यापारी रहता था। वह धर्मात्मा स्वभाव का और भगवान विष्णु का भक्त था। उसके 5 बेटे थे, जिनमें से सबसे बड़ा बेटा बहुत ही दुष्ट और पानी स्वभाव का था।
     
  2. वह वेश्याओं के पास जाता और जुआ आदि खेलता था। पिता का पैसा वह बुरे कामों में ही बर्बाद करता था। काफी समझाने पर भी जब वह नहीं माना तो पिता ने उसे अपने घर से निकाल दिया। जीवन-यापन के लिए वह चोरी करने लगा।
     
  3. एक बार सैनिकों ने उसे चोरी करते हुए पकड़ लिया और राजा के सामने पेश किया। राजा ने उसे कारागार में डलवा दिया। बाद में राजा ने उसे अपने घर से बाहर निकल जाने को कहा। सैनिकों ने उसे नगर के बाहर छोड़ दिया।
     
  4. अब वह जंगल में पशु-पक्षियों को मारकर पेट भरने लगा। एक दिन उसे खाने-पीने को कुछ भी नहीं मिलता, जिसके चलते वह भूख-प्यास से बहुत परेशन होकर भटकता हुआ कौण्डिन्य मुनि के आश्रम में जा पहुँचा।
     
  5. उस समय वैसाख का महीना चल रहा था और कौण्डिन्य मुनि गंगा स्नान करके आये थे। कौण्डिन्य मुनि के भीगे हुए कपड़ों की कुछ बूंदे उस वैश्य पुत्र पर भी पड़ गईं, जिससे उसकी बुद्धि शुद्ध हो गई।
     
  6. वह ऋषि से बोला ‘मैंने अपने जीवन में अनेक पाप किये हैं, कृपा कर उन पापों से मुक्ति का कोई उपाय बताएं।’ तब ऋषि ने उसे वैसाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसका नाम मोहिनी है, का व्रत करने को कहा।’
     
  7. ऋषि के कहने पर वैश्य पुत्र ने मोहिनी एकादशी का व्रत किया, जिससे उसके सभी पाप नष्ट हो गए। मृत्यु के बाद उसे विष्णुलोक मिला। इस व्रत की कथा सुनने से 1 हजार गोदान के पुण्य के समान फल मिलता है।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो ज्योतिषियों द्वारा बताई गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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