Navratri 2025 day 9: नवमी तिथि पर करें देवी सिद्धिदात्री की पूजा, जानें विधि-मंत्र और आरती

Published : Oct 01, 2025, 08:21 AM IST
Navratri 2025 day 9

सार

Navratri 2025 day 9: 2 अक्टूबर, बुधवार को शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि रहेगी। इस दिन देवी दुर्गा के नौवें रूप सिद्धिदात्री की पूजा करने की परंपरा है। देवी का ये रूप बहुत ही सौम्य है और शुभ फल देने वाला है।

Devi Siddhidatri Ki Puja Vidhi: इस बार शारदीय नवरात्रि की अंतिम तिथि यानी नवमी 2 अक्टूबर, बुधवार को है। इस दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। देवी सिद्धिदात्री का आसन कमल है। इनकी 4 भुजाएं हैं, जिनमें गदा, चक्र, कमल और शंख है। इन देवी की पूजा से हर तरह की सिद्धि आसानी से प्राप्त हो जाती है। स्वयं भगवान भी इनकी पूजा करते हैं। आगे जानिए देवी सिद्धिदात्री की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, आरती और कथा…

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1 अक्टूबर 2025 शुभ मुहूर्त

सुबह 06:22 से 07:50 तक
सुबह 07:50 से 09:19 तक
सुबह 10:47 से दोपहर 12:16 तक
सुबह 03:13 से शाम 04:42 तक
शाम 04:42 से 06:10 तक
 

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देवी सिद्धिदात्री की पूजा विधि-मंत्र

- 1 अक्टूबर, बुधवार को सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। ऊपर बताए किसी शुभ मुहूर्त में देवी सिद्धिदात्री का चित्र घर में किसी साफ स्थान पर स्थापित करें।
- देवी के चित्र पर तिलक लगाएं, फूल माला पहनाएं, अबीर, गुलाल, रोली, फूल, चावल, हल्दी, मेहंदी आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाएं। माता को नारियल या इससे बनी चीजों का भोग लगाएं।
- इसके बाद नीचे लिखे मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें और फिर विधि-विधान से देवी की की आरती करें।
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायनी॥

मां सिद्धिदात्री की आरती (Devi siddhidatri Aarti)

जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता, तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि, तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम, हाथ सेवक के सर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में न कोई विधि है, तू जगदंबे दाती तू सर्वसिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमरिन करे जो, तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके कराती हो पूरे, कभी काम उस के रहे न अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया, रखे जिसके सर पैर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली, जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा, महानंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता, वंदना है सवाली तू जिसकी दाता...


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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