Putrada Ekadashi 2025 Parna Time: कब करें पुत्रदा एकादशी का पारण? जानें डेट और टाइम

Published : Aug 05, 2025, 09:18 AM IST
putrda ekadashi 2025 parna time

सार

Putrada Ekadashi 2025: इस बार 5 अगस्त, मंगलवार को सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत किया जाएगा। मान्यता है कि ये व्रत करने से योग्य संतान की प्राप्ति होती है। जानें इस व्रत का पारण कब करें और इसकी विधि क्या है?

Putrada Ekadashi 2025 Parna Date-Time: धर्म ग्रंथों के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहते हैं। इस बार पुत्रदा एकादशी का व्रत 5 अगस्त, बुधवार को किया जाएगा। व्रत के बाद पारण करना भी जरूरी है। बिना पारण के व्रत का पूरा फल नहीं मिलता, ऐसा धर्म ग्रंथों में लिखा है। इसलिए जो भी पुत्रदा एकादशी का व्रत कर रहे हैं उनके लिए पारण करना बहुत जरूरी है। आगे जानिए पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण कब और कैसे करें…

कब करें पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण?

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, पुत्रदा एकादशी व्रत 5 अगस्त को किया जाएगा। इसलिए इसके अगले दिन यानी 6 अगस्त, बुधवार को व्रत का पारण करें। व्रत पारण का शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 45 मिनिट से 08 बजकर 26 मिनिट तक रहेगा।

ये भी पढ़ें-

Vishnu Chalisa Lyrics in Hindi: श्री विष्णु चालीसा लिरिक्स हिंदी में


Putrada Ekadashi 2025: पुत्रदा एकादशी 5 अगस्त को, जानें मंत्र-मुहूर्त और पढ़ें व्रत की रोचक कथा

 

कैसे तय करते हैं एकादशी व्रत पारण का समय?

विद्वानों के अनुसार एकादशी तिथि समाप्त होते ही व्रत का पारण नहीं करना चाहिए। व्रत का पारण हरि वासर के बाद ही करना चाहिए। हरि वासर का अर्थ है द्वादशी तिथि का एक पहर, यानी एकादशी तिथि समाप्त होने के बाद द्वादशी तिथि का एक पहर निकल जाए इसके बाद ही व्रत का पारण करना ठीक होता है।

पारण सुबह ही क्यों करें?

विद्वानों का कहना है कि यदि एकादशी तिथि रात में ही समाप्त हो जाए तो अगले दिन सुबह पारण का समय सबसे उपयुक्त होता है। अगर किसी वजह सुबह व्रत का पारण न कर पाएं तो दोपहर 12 बजे के बाद ही पारण करें, इसके पहले नहीं। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि खत्म होने से पहले करना जरूरी है। ऐसा न करने से व्रत का पुण्य कम हो जाता है।

कैसे करें एकादशी व्रत का पारण?

एकादशी व्रत पूर्ण करने के बाद अगले दिन शुभ मुहूर्त में फिर से एक बार भगवान विष्णु की पूजा करें और भोग लगाएं। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और उन्हें दान-दक्षिणा आदि देकर ससम्मान विदा करें। इसके बाद ही स्वयं भोजन करें लेकिन सबसे पहले पूजा का प्रसाद खाएं। अगर ब्राह्मणों को भोजन करवाने में असमर्थ हैं तो जरूरतमंदों को भोजन का दान करें। ये भी न कर पाएं तो गाय को हरा चारा खिलाएं।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

PREV
Read more Articles on

Recommended Stories

Annapurna Jayanti Vrat Katha: क्यों महादेव ने देवी अन्नपूर्णा से मांगी भिक्षा? पढ़ें रोचक कथा
Margashirsha Purnima 2025: साल का आखिरी पूर्णिमा कल, चुपके से कर लें 9 उपाय लेकिन न करें ये गलती