Rishi Panchami Vrat Katha: ऋषि पंचमी पर जरूर सुनें ये कथा, तभी मिलेगा व्रत का पूरा फल

Published : Aug 27, 2025, 04:38 PM IST
rishi panchami vrat katha

सार

Rishi Panchami 2025: हर साल भाद्रपद मास में ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है। ये व्रत सिर्फ वहीं महिलाएं करती हैं जो रजस्वला होती हैं यानी जिनके पीरियड आते हैं। इस व्रत में सप्त ऋषियों की पूजा करना का विधान है।

Rishi Panchami Vrat Ki Katha: धर्म ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है। पुराणों में भी इस व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। इस बार ये व्रत 28 अगस्त, गुरुवार को किया जाएगा। ये व्रत उन महिलाओं के लिए बहुत जरूरी माना गया है, जो रजस्वला होती हैं यानी जिनके पीरियड आते हैं। इस व्रत की कथा सुने इसका पूरा फल नहीं मिलता, ऐसा धर्म ग्रंथों में लिखा है। आगे जानिए ऋषि पंचमी व्रत की कथा…

ये भी पढ़ें-

Rishi Panchami 2025: कब है ऋषि पंचमी, कैसे करें व्रत-पूजा? जानें मंत्र मुहूर्त और कथा


Ganesh Chaturthi 2025: श्रीगणेश के ये हैं 10 सबसे पावरफुल मंत्र

 

ऋषि पंचमी व्रत की कथा हिंदी में (Rishi Panchami Story In Hindi)

- प्राचीन काल में विदर्भ देश में उत्तक नाम का एक ब्राह्मण अपने परिवार के साथ रहता था। वह बहुत ही सदाचारी और भगवान पर विश्वास करने वाला था। उसकी पत्नी का नाम सुशीला था, वह भी पतिव्रता स्त्री थी। उनके दो संतान थी, एक पुत्र और दूसरी पुत्री।
- उत्तक ने उचित समय आने वाला अपनी पुत्री का विवाह एक योग्य ब्राह्मण युवक से कर दिया लेकिन कुछ ही समय के बाद उसकी पुत्री विधवा हो गई और पुन: अपने पिता के घर आकर रहने लगी। अपनी पुत्री की ये स्थिति देख उत्तक बहुत ही दुखी रहता था।
- एक रात उत्तक की पुत्री घर में सो रही थी। सुबह उठने पर उसने देखा कि उसके शरीर पर कीड़े लग गए हैं। जब ये बात उत्तक और उसकी पत्नी ने देखी तो वे जोर-जोर से विलाप करने लगे। उन्हें समझ नहीं आया कि उनकी पुत्री की ये स्थिति क्यों हुई?
- तब सुशीला अपनी पुत्री को लेकर एक तपस्वी के पास गई और उन्हें पूरी बात बताई। तपस्वी ने अपनी दिव्य दृष्टि से देखा और बताया कि ‘तुम्हारी बेटी ने पूर्व जन्म में रजस्वला काल में पाप किया था, जिसका दंड उसे उसे इस जन्म में मिल रहा है।’
- तपस्वी ने भी कहा कि ‘ऋषि पंचमी का व्रत कर इस पाप से छुटकारा पाया जा सकता है।’ समय आने वाला बाह्मण कन्या ने ऋषि पंचमी का व्रत पूरे विधि-विधान से किया, जिससे वह निरोगी हो गई। इस तरह ऋषि पंचमी का व्रत करने से रजस्वला काल में जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति पाई जा सकती है।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

PREV
Read more Articles on

Recommended Stories

Akhurath Chaturthi Vrat Katha: रावण ने क्यों किया अखुरथ चतुर्थी का व्रत? पढ़ें ये रोचक कथा
Akhurath Chaturthi 2025: अखुरथ संकष्टी चतुर्थी कब, 7 या 8 दिसंबर? जानें मुहूर्त-मंत्र सहित पूरी विधि