Sankashti Chaturthi: 16 मई को करें संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें मंत्र और पूजा विधि, कब निकलेगा चांद?

Published : May 11, 2025, 11:45 AM ISTUpdated : May 16, 2025, 11:36 AM IST
sankashti chaturthi 2025

सार

Sankashti Chaturthi 2025 May Date: मई 2025 में एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। इस व्रत का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया है। इस व्रत को करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। 

Ekdant Sankashti Chaturthi Kab Hai: हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस व्रत में भगवान श्रीगणेश के साथ-साथ चंद्रमा की पूजा करने की भी परंपरा है। हर महीने की संकष्टी चतुर्थी का नाम अलग-अलग है। इसी क्रम में ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को एकदंत संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। इस बार ये एकादशी मई 2025 में है। जानें एकदंत संकष्टी चतुर्थी की सही डेट, पूजा विधि, मंत्र सहित पूरी डिटेल…

कब है एकदंत संकष्टी चतुर्थी? (When is Ekadanta Sankashti Chaturthi)

पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 16 मई, शुक्रवार की तड़के 04 बजकर 03 मिनिट से शुरू होगी, जो 17 मई, शनिवार की सूबह 05 बजकर 13 मिनिट तक रहेगी। चूंकि संकष्टी चतुर्थी की पूजा शाम को चंद्रोदय के समय की जाती है, इसलिए ये व्रत 16 मई, शुक्रवार को ही किया जाएगा।

एकदंत संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Ekadanta Sankashti Chaturthi Shubh Muhurat)

एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत में भगवान श्रीगणेश की पूजा की जाती है और इसके बाद चंद्रमा की। इस बार चंद्रोदय रात को 10.39 मिनिट पर होगा। आप अपनी सुविधा के अनुसार, रात 8 से 9 के बीच में भगवान श्रीगणेश की पूजा कर सकते हैं। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा की पूजा कर अपना व्रत पूरा करें।

एकदंत संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)

- 16 मई, शुक्रवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें। सुबह एक समय फलाहार कर सकते हैं।
- शाम को चंद्रोदय से पहले चौकी पर भगवान श्रीगणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। सबसे पहले भगवान को कुमकुम से तिलक लगाएं, फूलों की माला पहनाएं।
- भगवान के चित्र के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं। चावल, वस्त्र, जनेऊ, पान, नारियल आदि चीजें एक-एक करके श्रीगणेश को चढ़ाते रहें।
- भगवान श्रीगणेश को दूर्वा विशेष रूप से चढ़ाएं। पूजा के दौरान ऊं गं गणपतयै नम: मंत्र का जाप करें। अपनी इच्छा अनुसार भगवान को भोग लगाएं।
- इस तरह पूजा करने के बाद भगवान की आरती करें। चंद्रमा उदय होने पर जल से अर्ध्य दें और फूल अर्पित करें। इस व्रत से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

गणेशजी की आरती (Ganesh ji Ki Aarti Lyrics In Hindi)

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा 
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा
लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो ज्योतिषियों द्वारा बताई गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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