Mokshada Ekadashi Vrat Katha: हिंदू धर्म में एकादशी को बहुत ही पवित्र तिथि माना गया है। अगहन मास की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं। इस एकादशी का महत्व अनेक ग्रंथों में बताया गया है।
Mokshada Ekadashi Ki Katha: हिंदू पंचांग के अनुसार, एक महीने में 2 एकादशी आती है, इस तरह एक साल में कुल 24 एकादशी का संयोग बनता है। हर एकादशी का अपना अलग महत्व नाम और पूजा विधि होती है। इसी क्रम में अगहन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं। इस बार मोक्षदा एकादशी का व्रत 11 दिसंबर, बुधवार को किया जाएगा। बिना कथा सुने इस व्रत का पूरा फल नहीं मिलता। आगे जानिए मोक्षदा एकादशी की कथा…
- प्राचीन समय गोकुल नगर में एक राजा था, उसका नाम वैखानस था। एक बार रात में जब राजा वैखानस सो रहे थे, तभी उन्हें सपना आया कि उनके पिता नरक में यातना भोग रहे हैं। अगले दिन राजा वैखानस ने विद्वानों से इस सपने का अर्थ पूछा।
- विद्वानों ने कहा कि- ‘हमारे राज्य के पास ही पर्वत ऋषि का आश्रम है। वे परम तपस्वी और विद्वान हैं। वे ही आपकी इस सपने का अर्थ ठीक-ठीक बता सकते हैं। विद्वानों की बात मानकर राजा वैखानस पर्वत ऋषि के पास गए और उन्हें सपने वाली बात बताई।
- पर्वत ऋषि ने कुछ देर ध्यान लगाया और राजा से कहा कि ‘पूर्व जन्म में तुम्हारे पिता की 2 पत्नियां थीं, उनमें से एक से वे अधिक प्रेम करते थे और दूसरी की उपेक्षा करते थे। इसी वजह से उन्हें नर्क में यातना भोगनी पड़ रही है। राजा ने इसका उपाय पूछा।
- पर्वत मुनि ने कहा कि ‘मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं। आप ये व्रत कीजिए और इसका फल अपने पिता को दे दीजिए इससे आपके पिता को मोक्ष मिलेगा। राजा ने अपने परिवार सहित इस एकादशी का व्रत किया।
- मोक्षदा एकादशी व्रत के प्रभाव से राजा वैखानस के पिता को नरक से मुक्ति मिल गई और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो गई। धर्म ग्रंथों के अनुसार, जो भी व्यक्ति मोक्षदा एकादशी का व्रत करता है, उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मोक्षदा एकादशी पर इस व्रत की कथा जरूर सुननी चाहिए, तभी इसका पूरा फल प्राप्त होता है।
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