जानिए उत्पन्ना एकादशी 2025 की सही तिथि? शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Published : Nov 02, 2025, 08:48 PM IST
utpanna ekadashi

सार

वर्ष 2025 में उत्पन्ना एकादशी व्रत 15 नवंबर, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु और देवी उत्पन्ना की पूजा का विशेष महत्व है। व्रत करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

Utpanna Ekadashi 2025 Date: मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि, जो कार्तिक मास के बाद आती है, उत्पन्ना एकादशी के नाम से जानी जाती है। यह एकादशी भगवान विष्णु और देवी एकादशी के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला एक पवित्र पर्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। हर साल भक्त एकादशी तिथि को लेकर असमंजस में रहते हैं। इस असमंजस को दूर करने के लिए, यहां जानें उत्पन्ना एकादशी 2025 की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और विशेष महत्व के बारे में।

उत्पन्ना एकादशी 2025 कब है

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: शनिवार, 15 नवंबर, प्रातः 12:49 बजे।
  • एकादशी तिथि समाप्त: अगले दिन, रविवार, 16 नवंबर, प्रातः 2:37 बजे।

सनातन धर्म में, कोई भी व्रत या त्यौहार उदया एगातिथि के अनुसार मनाया जाता है, अर्थात तिथि सूर्योदय के समय प्रभावी होती है। चूंकि एकादशी तिथि 15 नवंबर को सूर्योदय से शुरू हो रही है, इसलिए उत्पन्ना एकादशी व्रत शनिवार, 15 नवंबर को मनाया जा।

उत्पन्ना एकादशी व्रत की सरल पूजा विधि

  • व्रत संकल्प: एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें।
  • पूजन: भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। उन्हें रोली, चंदन, चावल, फूल, धूप और दीप अर्पित करें।
  • भोग: भगवान को तुलसी के पत्तों से युक्त मिठाई या फल अर्पित करें। इस दिन चावल और अनाज का सेवन वर्जित है।
  • दक्षिणा जागरण: विष्णु सहस्रनाम, एकादशी व्रत कथा या गीता का पाठ करें। "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें।
  • रात्रि जागरण: यदि संभव हो, तो रात भर जागरण करें और भगवान के भजन और स्तुति गाएं।
  • पारण: द्वादशी तिथि (16 नवंबर) को शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें। व्रत खोलने से पहले किसी गरीब व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराएं या दान दें।

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उत्पन्ना एकादशी का महत्व

पुराणों के अनुसार, इस एकादशी को वह दिन माना जाता है जब भगवान विष्णु ने एक राक्षस का संहार करने के लिए देवी उत्पन्ना का अवतार लिया था। इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह एकादशी कार्तिक माह की सभी एकादशियों में सबसे पुण्यदायी मानी जाती है।

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Disclaimer: इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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