
Ganga Saptami 2025 Details: वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। नाम से ही पता चलता है कि ये पर्व देवनदी गंगा से संबंधित है। इस पर्व से संबंधित अनेक कथाएं, मान्यताएं और परंपराएं हमारे देश में प्रचलित है। इस बार ये पर्व 4 मई, रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन कईं शुभ योग बन रहे हैं, जिसके चलते इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है। आगे जानिए क्यों मनाते हैं गंगा सप्तमी, कैसे करें पूजा-विधि-मंत्र आदि डिटेल…
धर्म ग्रंथों के अनुसार, देवनदी गंगा पर्वतराज हिमालय और मैना की पुत्री हैं। साथ ही देवी पार्वती की बहन भी हैं। परमपिता ब्रह्मा के कमंडल में इनका वास हुआ करता था। वैशाख शुक्ल सप्तमी के दिन ही गंगा नदी ब्रह्माजी के कमंडल से निकलकर स्वर्ग लोक में प्रवाहित हुईं। तभी से इस तिथि पर हर साल गंगा सप्तमी का पर्व मनाया जाता है, जो आज भी चला आ रहा है।
- गंगा सप्तमी के दिन याी 4 मई, रविवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और व्रत-पूजा का विधिवत संकल्प लें।
- घर में साफ स्थान पर पटिए के ऊपर देवी गंगा की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें। देवी के चित्र पर तिलक लगाएं।
- फूलों की माला पहनाएं, दीपक लगाएं और अबीर, गुलाल, चावल, फूल, हल्दी एक-एक करके चढ़ाते रहें।
- पूजा के बाद देवी गंगा को भोग लगाएं और आरती करें। देवी गंगा की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता
जो नर तुमको ध्यान, मन वंचित फल पाता
ओम जय गंगे माता …
चंद्रा सी ज्योत तुम्हारी, जल निर्मल आता
शरण पडे जो तेरी, सो नर तर जाता
ओम जय गंगे माता ..…
पुत्रा सागर के तारे, सब जग को ग्याता
कृपा द्रष्टि तुमहारी, त्रिभुवन सुख दाता
ओम जय गंगे माता ..…
एक बर जो परानी, शरण तेरी आता
यम की तस मितकार, परमगति पाता
ओम जय गंगे माता ..…
आरती मात तुमहारी, जो जन नित्य गाता
सेवक वाही सहज मैं, मुक्ति को पाता
ओम जय गंगे माता .....
Disclaimer
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