
Ahoi Ashtami 2025 Moonrise Time: अहोई अष्टमी उत्तर भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस व्रत का इंतजार संतान वाली हर महिला को रहता है क्योंकि इस व्रत को करने से बच्चों की उम्र लंबी होती है और उनकी सेहत भी ठीक रहती है। इस व्रत के दौरान अनेक परंपराएं निभाई जाती हैं जैसे तारों के दर्शन करना और अर्घ्य देना आदि। इस दिन चंद्रोदय का भी महिलाओं को विशेष रूप से इंतजार रहता है। जानें अहोई अष्टमी पर कब करें पूजा? नोट करें तारों को अर्घ्य देने का समय और चंद्रोदय की टाइमिंग…
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13 अक्टूबर, सोमवार को अहोई अष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 53 मिनिट से शुरू होगा जो 07 बजकर 08 मिनिट तक रहेगा। यानी भक्तों को पूजा के लिए पूरे 1 घंटे 15 मिनिट का समय मिलेगा। इस दौरान अहोई माता की पूजा करना श्रेष्ठ रहेगा। अहोई माता कोई और नहीं बल्कि देवी पार्वती का ही एक रूप हैं जो बच्चों के जीवन की रक्षा करती हैं।
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अहोई अष्टमी पर शाम के समय तारों को देखने के बाद महिलाएं अपना व्रत पूर्ण करती हैं। तारों को जल से अर्घ्य भी दिया जाता है। इसके पीछे महिलाओं के मन में ये भावना रहती है कि जिस तरह आकाश में तारे हमेशा चमकते रहते हैं, उसी प्रकार मेरे बच्चों का जीवन भी उज्ज्वल और सुरक्षित रहे। तारों को अहोई माता का वंशज भी माना जाता है। इस बार तारों को अर्घ्य देने का समय शाम 06 बजकर 17 मिनिट के बाद का है।
अहोई अष्टमी पर चंद्रोदय का भी विशेष महत्व है। बहुत सी महिलाएं चंद्रमा के दर्शन के बाद ही अपना व्रत पूर्ण करती हैं। 18 अक्टूबर, सोमवार को चंद्रोदय रात 11 बजकर 20 मिनिट के लगभग होगा। अलग-अलग शहरों के हिसाब से चंद्रोदय के समय में आंशिक अंतर आ सकता है।
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