
Chanakya Niti Life Management: आचार्य चाणक्य का नाम हम सभी ने कभी न कभी जरूर सुना होगा। आचार्य चाणक्य ने ही जनपदों में बंटे इस भारत देश को एक सूत्र में पिरोया और अखंड भारत का सपना साकार किया। उन्होंने ही अपनी नीतियों के बल पर एक साधारण युवक चंद्रगुप्त मौर्य को भारत का चक्रवर्ती सम्राट बनाया। आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में गधे के 3 ऐसे गुणों के बारे में बताया है जो यदि कोई अपने जीवन में उतार ले तो उसे हर क्षेत्र में सफलता मिल सकती है। जानें कौन-से हैं गधे के ये 3 गुण…
चाणक्य नीति का श्लोक
सुश्रान्तोऽपि वहेद् भारं शीतोष्णं न पश्यति।
सन्तुष्टश्चरतो नित्यं त्रीणि शिक्षेच्च गर्दभात् ॥
अर्थ- आलस्य छोड़कर अपने लक्ष्य की ओर चलते रहना, सर्दी-गर्मी की परवाए किए बिना काम करते रहना और जो भी मिले उससे संतुष्ट हो जाना। गधे के ये 3 गुण जिसमें होते हैं उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, यदि आपने अपने लिए कोई लक्ष्य तय किया है तो आलस्य छोड़कर उसे पूरा करने में लग जाए जिस तरह गधा कितना भी भार होने पर तय स्थान पर जाकर ही रुकता है। उसी तरह समस्याओं के बारे में न सोचते हुए सिर्फ अपने लक्ष्य की ओर चलने वाला व्यक्ति ही सफल होता है।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जब आप कोई लक्ष्य पाने के लिए प्रयास करते हैं तो बीच-बीच में कईं परेशानियां आती हैं। लेकिन उन परेशानियों पर ध्यान दें और आगे बढते रहें। जिस तरह गधा सर्दी-गर्मी के बारे में विचार न करते हुए निरतंर काम करता रहता है।
कईं बार जब आप लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रयास करते हैं तो कईं अभाव भी आपको झेलने पड़ते हैं। कभी पैसे नहीं होते तो कभी भोजन नहीं मिल पाता। ऐसी स्थित में जो भी मिले, जैसा भी मिले, उसी से संतुष्ट होकर लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें। जैसे गधा जहां भी घास मिल जाती है, उसी को खाकर अपना काम करता रहते हैं।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।