
Surya Mandir Unique Temple Andhra Pradesh: धर्म ग्रंथों में जो पंचेदव बताए गए हैं, उनमें से सूर्यदेव भी एक है। इन पंचदेवों में से एक मात्र सूर्य ही है जो हमें दिखाई देते हैं। सूर्यदेव के अनेक रहस्यमयी और प्राचीन मंदिर हमारे देश में है। ऐसा ही एक मंदिर आंध्रप्रदेश में भी है। इस मंदिर से अनेक परंपराएं और मान्यताएं जुड़ी हैं जो इसे और भी खास बनाती हैं। कहते हैं कि ये देश का एकमात्र मंदिर है जहां पत्नियों के साथ सूर्यदेव की पूजा की जाती है। आगे जानिए इस मंदिर से जुड़ी रोचक बातें…
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सूर्यदेव का ये प्राचीन मंदिर आंध्रप्रदेश के अरसावल्ली गांव से 1 किमी दूर पूर्व दिशा में श्रीकाकुलम जिले में स्थित है। ये मंदिर लगभग 18 सौ साल पुराना बताया जाता है लेकिन यहां सूर्यदेव की जो प्रतिमा स्थापित है वो सतयुग के समय की है। मंदिर में लगे शिलालेखों से पता चलता है कि ये मंदिर 7वीं शताब्दी में कलिंग साम्राज्य के शासक देवेंद्र वर्मा ने बनवाया था। राजा देवेंद्र वर्मा ने ये स्थान गुरुकुल के लिए दान में दिया था। यानी इसी जगह कभी विद्यार्थियों की शिक्षा दी जाती थी।
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प्रचलित कथा के अनुसार, एक बार देवराज इंद्र ने घमंड में चूर होकर भगवान शिव के स्थान पर जबरन घुसने की कोशिश की, लेकिन नंदी ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। ये देख सूर्यदेव को भी गुस्सा आ गया और उनके तेज प्रकार के कारण देवराज इंद्र को दिखाई देना बंद हो गया। तब देवराज इंद्र ने इस स्थान पर सूर्यदेव की प्रतिमा स्थापित कर इसकी पूजा की। जिसके चलते देवराज इंद्र को सबकुछ पुन: दिखाई देने लगा।
इस मंदिर में स्थापित भगवान सूर्यदेव की प्रतिमा लगभग 5 फीट ऊंची है। सूर्यदेव की प्रतिमा के दोनों और उनकी दोनों पत्नी छाया व संध्या की प्रतिमा भी है। मंदिर में पंचदेवों की मूर्तियां भी स्थापित हैं। इस कारण सौर, शैव, शाक्त, वैष्णव और गाणपत्य संप्रदाय के लोगों के लिए भी यह मंदिर खास है। दूर-दूर से लोग यहां दर्शन और पूजा करने आते हैं। यहां भगवान सूर्य को वरु के नाम से पूजा जाता है।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।