Eid-ul-adha 2023: कब है बकरीद, 28 या 29 जून को, इस दिन बकरे की कुर्बानी की परंपरा क्यों?

Bakri Eid 2023 Date: इस्लाम में कई त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें से बकरीद भी एक है। इसे ईद उल अजहा भी कहते हैं। इस दिन बकरे की कुर्बानी खास तौर पर दी जाती है। जून 2023 में ये त्योहार कब मनाया जाएगा, जानिए सही डेट?

 

Manish Meharele | Published : Jun 24, 2023 10:54 AM IST

उज्जैन. इस्लाम में कुर्बानी के जज्बे को सबसे ऊपर माना गया है। ये कुर्बानी अल्लाह को खुश करने के लिए दी जाती है। कुर्बानी के जज्बे के बनाए रखने के लिए हर साल बकरीद का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन बकरों की कुर्बानी देने की परंपरा है। इस परंपरा के पीछे एक खास वजह भी है। (Bakri Eid 2023 Kab Hai) आगे जानिए इस बार बकरीद यानी ईद उल अजहा का त्योहार कब मनाया जाएगा 28 यानी 29 जून को?

इस दिन मनाया जाएगा बकरीद का त्योहार? (Bakri Eid 2023 Date)
इस्लामिक कैलेंडर में 12 महीने होते हैं। इसके अंतिम महीने को धुल हिज्ज कहा जाता है। इस महीने की दसवीं तारीख को ईद उल अजहा यानी बकरीद का त्योहार मनाया जाता है। इस बार इस्लामिक कैलेंडर की ये तारीख 29 जून, गुरुवार को पड़ रही है, इसलिए इसी दिन ये त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन सुबह-सुबह नमाज अदा करने के बाद बकरे की कुर्बानी देने की परंपरा है। इसी परंपरा के चलते इसे बकरीद कहा जाता है। कुछ स्थानों पर ऊंट की कुर्बानी भी दी जाती है। कुर्बानी का मतलब है त्याग, अपनी किसी प्यारी चीज का।

बकरे की ही कुर्बानी क्यों देते हैं? (Why do they sacrifice only the goat?)
- ईद उल अजहा के मौके पर बकरे की ही कुर्बानी क्यों दी जाती है, इसके पीछे एक खास कारण है जो पैगंबर हजरत इब्राहिम जुड़ा है। सबसे पहली कुर्बानी भी हजरत इब्राहिम ने ही दी थी।
- इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, हजरत इब्राहिम अल्लाह के पैगंबर थे। एक बार अल्लाह ने उन्हें अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करने के कहा। पैगंबर साहब को अपने बेटे इस्माइल से बहुत प्यार था। उन्होंने उसी की कुर्बानी देने का मन बनाया।
- जब ये बात इस्माइल को बता चली तो वह भी बहुत खुश हुआ क्योंकि वह अल्लाह की राह पर कुर्बान होने जा रहा था। जैसे ही हजरत इब्राहिम इस्माइल की कुर्बानी देने लगे, उसी समय वहां एक दुंबा यानी बकरा आ गया।
- इस तरह अल्लाह ने इस्माइल को बचा लिया और बकरे की कुर्बानी ले ली। तभी से हर साल ये त्योहार ईद उल अजहा के नाम से मनाया जाने लगा और परंपरा के अनुसार, बकरे के बलि दी जाने लगी।


Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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