
Grahan Mein Mandir Kyon Band Karte Hain: 7 सितंबर, रविवार को साल 2025 का दूसरा चंद्र ग्रहण होगा। ये ग्रहण इसलिए खास है क्योंकि ये भारत में दिखाई देगा, इसलिए यहां इसके सभी नियम व परंपराएं मानी जाएंगी। ग्रहण से जुड़ी अनेक परंपराएं हमारे समाज में प्रचलित हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, ग्रहण के दौरान मंदिर के कपाट बंद कर देने चाहिए। इस परंपरा का पालन हजारों सालों से किया जा रहा है, मगर बहुत कम लोग इसके पीछे का कारण जानते हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी से जानें क्या है इस परंपरा के पीछे की वजह…
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हमारे विद्वानों के अनुसार, ग्रहण एक अशुभ घटना है। जब भी ग्रहण होता है तो इस दौरान हानिकारक किरणें पृथ्वी पर आती हैं, जिससे पूरा वातावरण दूषित हो जाता है। मंदिर भी इनसे अछूते नहीं रहते। माना जाता है कि इन हानिकारक किरणों का प्रभाव देव प्रतिमाओं पर भी होता है। इसलिए ग्रहण के दौरान मंदिर के कपाट कुछ देर के लिए बंद कर दिए जाते हैं।
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लगभग हर हिंदू घर में भगवान का एक छोटा मंदिर जरूर होता है। ग्रहण के दौरान घर के मंदिर में भी परदा लगा देना चाहिए या इसे किसी कपड़े से कवर कर देना चाहिए और ग्रहण समाप्त होने के बाद पानी से इसे धोना चाहिए। इसके बाद ही पूजा-पाठ करना चाहिए। बिना मंदिर की शुद्धि किए पूजा-पाठ करने से दोष लगता है, इसलिए ऐसी गलती भूलकर भी न करें।
7 सितंबर, रविवार को होने वाले चन्द्र ग्रहण की कुल अवधि 03 घण्टे 28 मिनट की रहेगी। ये ग्रहण रात 09:58 से शुरू होगा जो मध्य रात्रि 01:26 पर होगी। ग्रहण की पूर्ण स्थिति रात 11 बजे बनेगी। अलग-अलग स्थानों पर चंद्र ग्रहण के समय में आंशिक परिवर्तन हो सकता है। ग्रहण का सूतक दोपहर 12:57 से शुरू होगा जो ग्रहण के साथ ही समाप्त होगा।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।