Interesting facts about Mahabharata: महाभारत में कईं ऐसी कथाएं हैं जिनके बारे में कम ही लोगों को पता है। ये बात तो सभी जानते हैं कि भगवान परशुराम भीष्म के गुरु थे, लेकिन ऐसा क्या हुआ कि ये दोनों महापुरुष एक-दूसरे के सामने युद्ध के लिए खड़े हो गए।
Unheard stories of Mahabharata: महाभारत में भीष्म एक प्रमुख पात्र हैं। भगवान परशुराम ने ही भीष्म को शस्त्र विद्या का ज्ञान दिया था, इस तरह परशुराम भीष्म के गुरु हुए। लेकिन एक घटना ऐसी हुई जिसके चलते भगवान परशुराम और भीष्म के बीच भयानक युद्ध हुआ। इस समय भीष्म युवा ही थे। इस युद्ध में दोनों ओर से दिव्यास्त्रों का उपयोग किया गया। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस युद्ध के कारण एक स्त्री थी। आगे जानिए कब और कैसे हुई ये अद्भुत घटना…
महाभारत के अनुसार, एक बार काशी के राजा ने अपनी 3 पुत्रियों अंबा, अंबिका और अंबालिका के लिए स्वयंवर का आयोजन किया। इस युद्ध में हस्तिनापुर के राजा को निमंत्रण नहीं दिया। क्रोध में आकर भीष्म ने काशी की तीनों राजकुमारियों का हरण कर लिया। भीष्म ने अंबिका और अंबालिका का विवाह अपने छोटे भाई विचित्रवीर्य से करवा दिया। लेकिन अंबा ने कहा कि वो राजा शाल्व को अपना पति मान चुकी है, इसलिए भीष्म ने उसे सम्मानपूर्वक जाने दिया। हरण हो जाने के कारण राजा शाल्व ने भी अंबा को स्वीकार नहीं किया।
जब राजा शाल्व ने अंबा को स्वीकार नहीं किया तो उसने इसका कारण भीष्म को माना। अंबा ने ये बात जाकर अपना नाना को बताई जो जंगल में में वानप्रस्थ आश्रम में रह रहे थे। भगवान परशुराम उनके मित्र थे। पूरी बात जाकर अंबा के नाना ने अपने मित्र परशुराम को याद किया और उनके आने पर पूरी बात बताई। तब भगवान परशुराम स्वयं भीष्म के पास गए और अंबा को स्वीकार करने को कहा लेकिन भीष्म ने विवाह न करने की प्रतिज्ञा ली थी, इसलिए उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया।
जब भीष्म ने अपने गुरु परशुराम की बात मानने से इंकार कर दिया तो क्रोध में आकर उन्होंने भीष्म को युद्ध के लिए ललकारा। क्षत्रिय होने के कारण भीष्म युद्ध के लिए इंकार नहीं कर सकते थे, इसलिए गुरु-शिष्य के बीच भयंकर युद्ध होने लगे। इस युद्ध में दोनों ओर से दिव्यास्त्रों का उपयोग भी हुआ। ये युद्ध लगातार 21 दिनों तक होता रहा, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला।
जब इस युद्ध का कोई परिणाम नहीं निकला तो भीष्म ने ऐसे अस्त्र का संधान किया, जिससे परशुराम बेहोश हो सकते थे। ऐसा होते देख देवताओं ने आकर भीष्म को रोक दिया और परशुराम से भी युद्ध समाप्त करने को कहा। देवताओं के कहने पर परशुराम ने युद्ध रोक दिया। इस प्रकार इस युद्ध में न किसी की हार हुई न किसी की जीत।
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