Jagannath Rath Yatra 2024: भगवान जगन्नाथ से क्यों नाराज होती हैं देवी लक्ष्मी, क्यों तोड़ती हैं रथ का पहिया?

Published : Jul 08, 2024, 10:03 AM ISTUpdated : Jul 10, 2024, 10:15 AM IST
jagnnath rath yatra 2024

सार

Jagannath Rath Yatra 2024: उड़ीसा के पुरी में निकाली जाने भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के दौरान अनेक परंपराओं को पालन किया जाता है। इनमें से कुछ परंपराएं काफी रोचक और दिलचस्प होती हैं। 

Jagannath Rath Yatra 2024 Facts: भगवान जगन्नाथ की प्रसिद्ध रथयात्रा 7 जुलाई, रविवार से शुरू हो चुकी है। ये यात्रा 8 जुलाई को गुंडिचा मंदिर पहुंचेगी। यहां भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ 8 दिनों तक विश्राम करेंगे। इस दौरान और भी कईं विशेष परंपराओं का पालन यहां किया जाएगा। इन्हें में से एक परंपरा है हेरा पंचमी। इस परंपरा के अंतर्गत देवी लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ के रथ का पहिया तोड़ देती हैं। आगे जानिए इस रोचक परंपरा के बारे में…

देवी लक्ष्मी क्यों होती हैं भगवान जगन्नाथ से नाराज?
स्थानीय मान्यता के अनुसार, आषाढ़ मास में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को लेकर मौसी के घर यानी गुंडिचा मंदिर जाते हैं, लेकिन वे देवी लक्ष्मी को इसके बारे में नहीं बताते। देवी लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ को ढूंढते हुए जब गुंडिचा मंदिर पहुंचती है तो उन्हें वहां पाकर बहुत क्रोधित हो जाती हैं और उनके रथ का एक पहिया भी तोड़ देती हैं। इसके बाद वे हेरा गोहिरी साही में बने अपने मंदिर में वापस लौट आती हैं।

भगवान जगन्नाथ रसगुल्ला देकर मनाते हैं देवी लक्ष्मी को?
नाराज देवी लक्ष्मी को मनाने के लिए भगवान जगन्नाथ उन्हें कईं बेशकीमती चीजें और मिठाई भेंट करते हैं, जिन्में रसगुल्ले विशेष रूप से होते हैं। रसगुल्ला व अन्य उपहार पाकर देवी लक्ष्मी प्रसन्न तो हो जाती हैं लेकिन ये शर्त भी रखती हैं आगे से ऐसी भूल नहीं होनी चाहिए। इस परंपरा को हेरा पंचमी कहते हैं। ये परंपरा हजारों सालों से चली आ रही है।

इस बार कब है हेरा पंचमी 2024?
इस बार भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा 7 जुलाई, रविवार से शुरू हो चुकी है। ये यात्रा 8 जुलाई, सोमवार को गुंडिचा मंदिर पहुंचेगी। हेरा पंचमी की परंपरा आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर निभाई जाती है। ये तिथि इस बार 11 जुलाई, गुरुवार को है। 15 जुलाई को भगवान जगन्नाथ पुन: अपने मंदिर में लौट आएंगे। वापसी की इस यात्रा को बहुड़ा यात्रा कहा जाता है।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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