
Janmashtami 2025: धर्म ग्रंथों के अनुसार, द्वापर युग में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान विष्णु के श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया था। तभी से हर साल इस तिथि पर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। इस बार ये पर्व 16 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है। भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े अनेक मिथक प्रचलित है, जिन्हें लोग सच मानते हैं। लेकिन इनकी सच्चाई कुछ और है। आगे जानिए श्रीकृष्ण से जुड़े ऐसे ही 5 मिथक और उनका सच…
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श्रीमद्भागवत के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण की आठ मुख्य रानियां थीं, जिनमें रुक्मिणी, सत्यभामा आदि थीं। उस समय प्राग्ज्योतिषपुर नामक नगर में नरकासुर नाम का एक राक्षस राज करता था। उसकी कैद में 16 हजार महिलाएं थीं। श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ मिलकर नरकासुर का वध कर दिया और 16 हजार महिलाओं को मुक्त कर दिया। उन महिलाओं को समाज के सम्मान की दृष्टि से देखा जाए, इसलिए श्रीकृष्ण ने उनके साथ विवाह किया और अपनी पत्नी का स्थान दिया।
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कुछ ग्रंथों में ऐसा लिखा है कि भगवान श्रीकृष्ण के शरीर का रंग नीला था। इस मिथक में भी कोई सच्चाई नहीं है। ऐसा कहते हैं पूतना द्वारा विष पिलाने से श्रीकृष्ण का शरीर हल्का नीला हो गया था और मान्यता ये भी है कि कालिया नाग द्वारा छोड़े गए जहर श्रीकृष्ण नीले हो गए थे। लेकिन वास्तव में भगवान विष्णु का एक नाम नीलवर्ण है, उन्हीं के अवतार होने के कारण इन्हें भी नीले रंग वाला कहा जाता है।
पुराणों के अनुसार, द्वापर युग में कालयवन नाम का एक राक्षस था। उसे कईं वरदान प्राप्त थे, जिसके कारण श्रीकृष्ण उसका वध नहीं कर सकते थे। तब श्रीकृष्ण ने योजना बनाई और युद्ध करते-करते भागने लगे। कालयवन भी उनका पीछा करने लगा। श्रीकृष्ण एक गुफा में छिप गए, जहां राजा मुचुकंद हजारों सालों से सो रहे थे। कालयवन ने जब गुफा में राजा मुचुकंद को देखा तो उनके पास गया। तभी राजा मुचुकंद की आंख खुल गोई और उनकी नजर पड़ते ही कालयवन भस्म हो गया। युद्ध से भागने के कारण ही श्रीकृष्ण को रणछोड़ भी कहते हैं।
कुछ लोग कहते हैं कि महाभारत युद्ध के लिए श्रीकृष्ण जिम्मेदार थे, क्योंकि वे चाहते थे तो ऐसा होने से रोक सकते थे। इस मिथक भी पूरी तरह से गलत है। श्रीकृष्ण ने अंत तक युद्ध को टालने का प्रयास किया। वे शांति दूत बनकर हस्तिनापुर भी गए लेकिन दुर्योधन ने उनकी बात नहीं मानी। जब श्रीकृष्ण ने देखा कि कौरव अधर्म के मार्ग पर अडिग हैं तभी महाभारत का युद्ध हुआ।
श्रीकृष्ण का एक नाम माखन चोर भी है क्योंकि वे बचपन में गोकुलवासियों के घर से माखन चुराकर खाते थे। वास्तव में ये भगवान श्रीकृष्ण की लीला थी। इसके पीछे लाइफ मैनेजमेंट के सूत्र भी छिपे हैं जैसे बचपन में हमें दूध, दही, घी, मक्खन आदि चीजें मुख्य रूप से अपने भोजन में शामिल करना चाहिए और अगर हमारे पास किसी वस्तु की अधिकता है तो उसे जरूरतमंदों में अपनी इच्छा अनुसार बांटनी चाहिए।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।