
Parshuram Jayanti 2025: हर साल वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि पर भगवान परशुराम का जन्मोत्सव मनाया जाता है, इस बार ये पर्व 30 अप्रैल, बुधवार को है। भगवान परशुराम ने अनेक योद्धाओं को शस्त्रों का ज्ञान दिया था, जिसमें भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण प्रमुख थे। महाभारत में एक ऐसी घटना के बारे में वर्णन मिलता है जब परशुराम को अपने ही शिष्य भीष्म के साथ युद्ध करना पड़ा। आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि इस युद्ध का कारण एक स्त्री थी। आगे जानिए कब और कैसे हुआ परशुराम और भीष्म के बीच युद्ध…
महाभारत के अनुसार, एक बार भीष्म अपने छोटे भाई विचित्रवीर्य के लिए काशी की राजकुमारियों का हरण कर ले आए। इन राजकुमारियों का नाम अंबा, अंबिका और अंबालिका था। अंबिका और अंबालिका ने तो विचित्रवीर्य से विवाह कर लिया लेकिन अंबा ने ऐसा करने से इंकार कर दिया और क्योंकि वह राजा शाल्व से प्रेम करती थी। ये जानकर भीष्म ने उसे ससम्मान राजा शाल्व के पास जाने दिया।
अपहरण कर लिए जाने के कारण राजा शाल्व ने अंबा को स्वीकार नहीं किया। अंबा ने ये बात अपने नाना को बताई जो भगवान परशुराम के मित्र थे। उसी समय परशुराम भी वहां आ गए। पूरी बात जानकर उन्होंने अंबा का पक्ष लिया और भीष्म को अंबा से विवाह करने को कहा लेकिन भीष्म ने मना कर दिया।
गुरु की आज्ञा न मानने के कारण परशुराम क्रोधित हो गए और उन्होंने भीष्म को युद्ध के लिए ललकारा। गुरु-शिष्य के बीच भयंकर युद्ध होने लगे। ये युद्ध 21 दिनों तक चलता रहा। तब भीष्म ने प्रस्वास्त्र का उपयोग करना चाहा, लेकिन परशुराम बेहोश हो सकते थे।
भीष्म को प्रस्वास्त्र का उपयोग करते देख देवताओं ने रोक दिया और परशुराम को भी युद्ध समाप्त करने को कहा। देवताओं के कहने पर परशुराम ने युद्ध रोक दिया और भीष्म भी पीछे हट गए। इस तरह इस युद्ध में न किसी की हार हुई न किसी की जीत।
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