
Rules for Puja Flowers: मंदिरों और घरों में पूजा के दौरान फूल चढ़ाना सदियों पुरानी धार्मिक परंपरा है। ये फूल न केवल ईश्वर के प्रति हमारी भक्ति को दर्शाते हैं, बल्कि पूजा स्थल को सकारात्मक ऊर्जा से भी भर देते हैं। हालांकि, जब ये फूल मुरझा जाते हैं, तो इन्हें नष्ट करने का समय आ जाता है। क्या आप भी इन फूलों को कूड़ेदान में फेंकते हैं? अगर हां, तो आपको अपनी आदत बदलने की जरूरत है, क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करना देवताओं का अपमान है। आइए जानें कि इन मुरझाए फूलों को सही तरीके से कैसे विसर्जित किया जाए ताकि उनकी सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे और हमें पुण्य की प्राप्ति हो।
धार्मिक शास्त्रों और मान्यताओं के अनुसार, भगवान को चढ़ाए गए फूल भगवान के स्पर्श और सकारात्मक ऊर्जा से ओतप्रोत होते हैं। ये फूल साधारण नहीं, बल्कि 'प्रसाद' की तरह पवित्र हो जाते हैं।
अनादर: इन पवित्र फूलों को सामान्य कूड़ेदान में फेंकना या उन्हें अशुद्ध स्थानों पर रखना देवताओं का घोर अनादर माना जाता है।
नकारात्मकता: ऐसा करने से पूजा का फल नष्ट हो सकता है और घर या मंदिर में नकारात्मक ऊर्जा आ सकती है।
मुरझाए हुए पूजा के फूलों को इस तरह विसर्जित किया जाना चाहिए कि वे प्रकृति में वापस लौट जाएं और उनकी पवित्रता बनी रहे।
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चूंकि ये फूल भगवान को छूकर पवित्र हो जाते हैं, इसलिए इन्हें साधारण कूड़ेदान में फेंकना अपमानजनक माना जाता है।
इन्हें किसी पवित्र नदी, बहते पानी में विसर्जित करना, खाद में मिलाना या पवित्र वृक्षों की जड़ों में रखना उचित माना जाता है।
हां, यह पर्यावरण के लिए अच्छा है और धार्मिक दृष्टि से भी उपयुक्त माना जाता है।
पीपल, बरगद और तुलसी के पौधों की जड़ें सबसे पवित्र मानी जाती हैं।
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हां, यह सही और पवित्र तरीका है; इससे प्रकृति को भी लाभ होता है।
Disclaimer: इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।