सांप-बैल से लेकर मोर तक...जानें भारतीय संस्कृति में पशु पूजा का महत्व

भारत में जानवरों की पूजा एक प्राचीन परंपरा है जो आज भी गांवों और शहरों में जीवित है। यह मान्यता है कि ये जानवर देवी-देवताओं से जुड़े हैं और प्रकृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, इसलिए उनकी पूजा की जाती है।

Asianetnews Hindi Stories | Published : Sep 13, 2024 10:37 AM IST
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भारत में जानवरों की पूजा करना एक अनोखी परंपरा है। खास बात यह है कि आज भी यह रिवाज गांवों में कायम है। शहरों में त्योहारों या किसी खास मौके पर पेड़-पौधों और जानवरों की पूजा की जाती है। बहुत से लोगों का मानना है कि जानवर देवी-देवताओं से जुड़े होते हैं। भारत में प्रकृति को ही भगवान माना जाता है। ये जानवर भी प्रकृति का हिस्सा हैं, इसलिए इन्हें भी पूजा जाता है।  ऐसे ही कुछ खास जानवरों के बारे में यहां जानते हैं. 

गाय (Cow)
हिन्दू धर्म में गाय को सबसे पवित्र माना जाता है। गौमाता, कामधेनु जैसे नामों से गाय की पूजा की जाती है। भक्तों का मानना है कि गाय श्रीकृष्ण को बहुत प्रिय थी। इतना ही नहीं गाय के दूध, गोबर, मूत्र, सब कुछ पवित्र माना जाता है। गाय की रक्षा करना, उसे खाना खिलाना भक्त प्रेम से करते हैं। गाय को कोई तकलीफ न हो इसके लिए कुछ लोग तो गौशाला भी चलाते हैं। कई जगहों पर गायों का सम्मान भी किया जाता है। खासकर गोकुलाष्टमी के दिन गायों की पूजा की जाती है. 

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सांप (Snake)
जहरीले सांपों की भी श्रद्धा से पूजा करना भारतीय संस्कृति की खासियत है। माना जाता है कि नाग सांप को स्वयं भगवान शिव ने अपने गले में धारण किया था, इसलिए सांप भी भगवान के समान हैं। नागपंचमी, नागुला चतुर्थी, सुब्रमण्य षष्ठी जैसे त्योहारों पर सांपों और उनके बिलों की विशेष रूप से पूजा की जाती है। भक्तों का मानना है कि नाग देवता की पूजा करने से सर्प दोष दूर होता है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है. 

बैल (Bull)
बैल को वृषभेश्वर, नंदीश्वर कहते हुए भक्त पूजा करते हैं। बैल भगवान शिव का वाहन भी है, इसलिए भक्त इसे बहुत श्रद्धा से पूजते हैं। शिवालयों में नंदी की मूर्ति जरूर होती है। भक्तों का मानना है कि नंदी की पूजा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। शिवालयों में जाने पर सबसे पहले नंदी की मूर्ति को प्रणाम करना एक रिवाज है। हिन्दू पुराणों में इस बैल को धर्म और सत्य का प्रतीक माना गया है. 

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बंदर (Monkey)
बंदर को भक्त भगवान हनुमान का रूप मानते हैं। उन्होंने रामायण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हनुमान जी बहुत बड़े भक्त थे। भक्तों का मानना है कि हनुमान जी की पूजा करने से भक्ति, बल, साहस और बुद्धि की प्राप्ति होती है। हनुमान मंदिरों के पास बंदरों का बहुत सम्मान किया जाता है. 

बाघ (Tiger)
बाघ देवी दुर्गा का वाहन है। वो बाघ की सवारी करती हैं। इसका मतलब है कि लोगों को अपने अंदर के क्रूर स्वभाव को भी दबाना चाहिए। उसी तरह अय्यप्पा स्वामी का वाहन भी बाघ है। ऐसे बाघ की पूजा साधु-संत बड़ी श्रद्धा से करते हैं। भक्तों का मानना है कि बाघ की पूजा करने से हमारे अंदर के राक्षसी गुण कम होते हैं. 

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हाथी (Elephant)
हाथी भगवान गणेश का स्वरूप है। हाथी के सिर वाले होने के कारण गणेश जी को गजानन कहा जाता है। इसलिए कुछ मंदिरों में हाथियों को पालकर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। विघ्नेश्वर को विघ्नों को हरने वाला देवता माना जाता है। उनके स्वरूप वाले हाथी से भी भक्त अपने कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं। हाथी की पूजा करने से पढ़ाई में मन लगता है, ऐसा माना जाता है. 

मछली (Fish)
हिन्दू पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार में धरती की रक्षा की थी। इसलिए मछली को विष्णु जी का अवतार माना जाता है। भक्तों का मानना है कि मत्स्य अवतार में विराजमान विष्णु जी की पूजा करने से प्राण रक्षा होती है। मछलियों की पूजा खास तौर पर उत्तर भारत के असम राज्य में की जाती है. 
 

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कछुआ (Tortoise)
हिन्दू पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन में कछुए ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। कछुआ ने मंदरा पर्वत को पानी में डूबने से बचाया था। इसी वजह से समुद्र मंथन बिना किसी रूकावट के पूरा हुआ था। लोगों का मानना है कि उस समय भगवान विष्णु ने कछुए का रूप धारण किया था। इसलिए कछुए को भी दिव्य स्वरूप माना जाता है। कूर्म रूप में विष्णु जी की पूजा करने से स्थिरता आती है, ऐसा भक्तों का मानना है. 

मोर (Peacock)
मोर कार्तिकेय स्वामी का वाहन है। भगवान कृष्ण भी मोर पंख धारण करते थे, इसलिए कुछ भक्त इस पक्षी को भी श्रद्धा से पूजते हैं। हर सुब्रमण्येश्वर मंदिर में मोर वाहन होता है। सुब्रमण्य षष्ठी, नागुला चतुर्थी, नाग पंचमी के दिन कुछ लोग मोर की मूर्तियों की भी पूजा करते हैं। मंदिरों के पास मोर का दिखना शुभ माना जाता है. 

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कुत्ता (Dog)
हिन्दू पुराणों के अनुसार कुत्ते को कालभैरव के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव काल भैरव का रूप धारण करके गांवों में घूमते हैं और लोगों की रक्षा करते हैं। इसलिए कुछ भक्त कुत्ते को भी श्रद्धा से पूजते हैं। खास तौर पर जिन लोगों पर कोई दोष होता है, वो कालभैरव अष्टकम, कालभैरव पूजा के नाम पर विशेष अवसरों पर कुत्तों की पूजा करते हैं। नेपाल और उत्तर भारत में कुकुर तिहार के दौरान कुत्तों की पूजा की जाती है. 

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चूहा (Mouse)
राजस्थान के करणी माता मंदिर में चूहों का बहुत ध्यान रखा जाता है। यहां भक्तों का मानना है कि देवी मां चूहों के रूप में विचरण करती हैं। उन्हें उनके पसंद का भोजन कराया जाता है। एक और बात, भगवान गणेश का वाहन भी चूहा है। इसे मूषक कहा जाता है। खास तौर पर गणेश चतुर्थी के दौरान भगवान गणेश के साथ-साथ उनके वाहन चूहे की भी पूजा की जाती है. 

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