Saphala Ekadashi 2025: कब है सफला एकादशी, 14 या 15 दिसंबर? नोट करें सही डेट

Published : Dec 13, 2025, 09:35 AM IST
Saphala Ekadashi 2025

सार

Saphala Ekadashi 2025: साल 2025 के अंतिम महीने दिसंबर में सफला एकादशी का व्रत किया जाएगा। इस व्रत की सही डेट क्या है, इसे लेकर लोगों के मन में संशय है कि ये व्रत कब करें, 14 या 15 दिसंबर को? जानिए क्या है इस व्रत की सही डेट।

Saphala Ekadashi 2025: धर्म ग्रंथों में एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। हिंदू पंचांग के एक महीने में 2 एकादशी आती है। इस तरह एक साल में कुल 24 एकादशी होती है। अधिक मास होने की स्थिति में इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। इनमें से हर एकादशी का अलग नाम है। इसी क्रम में पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहते हैं। इस बार ये एकादशी दिसंबर 2025 में है। इसकी डेट को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति बन रही है। आगे जानिए क्या है सफलता एकादशी की सही डेट…

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कब है सफला एकादशी 2025?

पंचांग के अनुसार, पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 14 दिसंबर, रविवार की शाम 06 बजकर 50 मिनिट से शुरू होगी जो 15 दिसंबर, सोमवार की रात 09 बजकर 20 मिनिट तक रहेगी। इस तरह सफला एकादशी तिथि का संयोग 2 दिन बन रहा है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार चूंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 15 दिसंबर, सोमवार को होगा, इसलिए इसी दिन सफला एकादशी का व्रत किया जाएगा। यही शास्त्रीय नियम भी है।

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सफला एकादशी का महत्व

सफला एकादशी का महत्व स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताया था। उसके अनुसार जो भई व्यक्ति सफला एकादशी का व्रत विधि-विधान से करता है। उसकी सभी मनोकामना पूरी होती है। इस एकादशी से भगवान विष्णु को शीघ्र ही प्रसन्न किया जा सकता है। जिस तरह नागों में शेषनाग, ग्रहों में सूर्य एवं चन्द्र, यज्ञों में अश्वमेध तथा देवताओं में भगवान विष्णु श्रेष्ठ हैं, उसी प्रकार व्रतों में ये एकादशी श्रेष्ठ है। व्यक्ति को जो पुण्य 5 हजार साल तक तपस्या करने से मिलता है, वह सफला एकादशी का उपवास और रात्रि जागरण करने से मिलता है।

कब करें सफला एकादशी 2025 व्रत का पारण?

सफला एकादशी व्रत का पारण अगले दिन यानी 16 दिसंबर, मंगलवार को किया जाएगा। इसके लिए शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 07 मिनिट से 09 बजकर 11 मिनिट का है। इस दौरान आप भगवान विष्णु की पूजा करें और अपनी इच्छा अनुसार जरूरतमंदों या ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देकर फिर स्वयं भोजन करें। ऐसा करने से आपको इस व्रत का पूरा फल मिलेगा।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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