
Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत शुभ और पवित्र त्योहार है। इस दिन को धन, समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है। गौरतलब है कि शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपनी पूरी चमक के साथ चमकता है और इस दिन विशेष पूजा-अर्चना, दान-पुण्य और खीर बनाने की परंपरा है जिससे घर में लक्ष्मी का आगमन होता है। वर्ष 2025 में शरद पूर्णिमा सोमवार, 6 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस लेख में हम शरद पूर्णिमा से जुड़े 20 सवालों के आसान जवाब जानेंगे।
शरद पूर्णिमा 2025 सोमवार, 6 अक्टूबर को है। इस दिन का शुभ मुहूर्त सुबह 6:00 बजे से 8:30 बजे तक और शाम 4:00 बजे से 6:00 बजे तक माना जाता है। इस दौरान पूजा और दान करने से विशेष लाभ मिलता है।
कोजागरी पूर्णिमा का अर्थ है "को जागती हुई", अर्थात देवी लक्ष्मी जाग रही हैं। इस रात जागरण और पूजा करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में समृद्धि और सौभाग्य आता है।
शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाकर उसे चांदनी में रखने की परंपरा है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि खीर को चांदनी में रखने से उसमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसका सेवन करने से घर में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति आती है।
पूरी श्रद्धा के साथ रात भर चांदनी में रखी खीर देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करती है। इसे खाने या ज़रूरतमंदों को बांटने से धन और समृद्धि बढ़ती है।
यह व्रत मुख्य रूप से विवाहित महिलाएं करती हैं, लेकिन परिवार के अन्य सदस्य भी इसे कर सकते हैं। यह व्रत सूर्योदय से शुरू होकर चंद्र दर्शन तक जारी रहता है। इस दौरान हल्का उपवास या निर्जला उपवास किया जा सकता है।
महा लक्ष्मी धन, सुख और समृद्धि की देवी हैं। शरद पूर्णिमा पर उनकी पूजा करने से घर में समृद्धि आती है। यह परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य और वैवाहिक जीवन को भी सुनिश्चित करती है।
रासलीला भगवान कृष्ण और राधा की लीला का प्रतीक है। शरद पूर्णिमा पर रासलीला की जाती है, जिससे भक्तों को आध्यात्मिक आनंद और भक्ति मिलती है।
इस दिन विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करने से धन, समृद्धि और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
शरद पूर्णिमा की रात दूध पीने से शरीर पुष्ट होता है और स्वास्थ्य बेहतर होता है।
शरद पूर्णिमा 2025 को चंद्रमा कर्क राशि में होगा।
स्नान करने से तन और मन शुद्ध होता है। उपवास करने से आध्यात्मिक लाभ और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
यह मुख्य रूप से भारत में ही मनाई जाती है, लेकिन विदेशों में भी हिंदू समुदाय इसे बड़े धूमधाम से मनाते हैं।
Disclaimer: इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।