
Ujjain Mahakal Sawari: उज्जैन में भगवान महाकाल की चौथी सवारी 4 अगस्त, सोमवार को निकाली गई। सवारी शाम ठीक 4 बजे मंदिर परिसर से बाहर आई, यहां पुलिस बल द्वारा बाबा महाकाल का गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया। यहां से सवारी तय मार्गों से होते हुए क्षिप्रा तट पहुंची। यहां पूजन-अर्चन के बाद शाम को लगभग 7 बजे सवारी पुन: मंदिर परिसर में प्रवेश कर गई।
सवारी के दौरान पालकी में भगवान महाकाल चंद्रमोलेश्वर स्वरूप में भक्तों को दर्शन दिए। हाथी पर मनमहेश, गरुड रथ पर शिव तांडव और नंदी रथ पर श्री उमा-महेश की प्रतिमाएं नजर आईं। सवारी शुरू होने से पहले मंदिर परिसर में जनप्रतिनिधि और शासकीय अधिकारियों द्वारा पूजा की गई। भक्तों को दर्शन करने में कोई असुविधा न हो इसके लिए भी पुलिस-प्रशासन द्वारा खास ध्यान दिया गया। सवारी मार्ग पर पुलिस ने चाक-चौबंद व्यवस्था की है और ड्रोन कैमरों से संवेदशील क्षेत्रों पर नजर रखी गई।
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में अंतिम सोमवार के चलते सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा। सावन सोमवार को लगभग 4 लाख भक्तों ने महाकाल दर्शन किए। सोमवार सुबह ढाई बजे महाकाल मंदिर के पट खोले गए और भस्म आरती की गई। भगवान महाकाल को भांग, चंदन और आभूषणों से राजा स्वरूप में श्रृंगार किया गया।
4 अगस्त को सावन का अंतिम महाकाल सवारी रहेगी क्योंकि 9 अगस्त को सावन 2025 ख्तम हो जाएगा। इसके बाद भादौ मास के प्रथम दो सोमवार को भी बाबा महाकाल की सवारी निकाली जाएगी। इनमें से पहली सवारी 11 अगस्त और दूसरी 18 अगस्त को निकाली जाएगी। अंतिम सवारी को शाही सवारी भी कहा जाता है। अंतिम सवारी का मार्ग काफी लंबा होता है और इसमें भजन मंडलियां, बैंड आदि बहुत से सांस्कृतिक दल प्रस्तुति देते हुए चलते हैं।