Unique Temple: देवी के इस मंदिर में लोग चढ़ाते हैं चप्पल-सैंडिल, विदेशी भक्त भेजते हैं घड़ी और चश्में

Published : Jun 03, 2025, 10:14 AM ISTUpdated : Jun 03, 2025, 11:13 AM IST
Bhopal Jijibai Mata Mandir

सार

unique temples of india: आमतौर पर मंदिर में भक्त प्रसाद व अन्य चीजें चढ़ाते हैं लेकिन भोपाल में देवी का एक ऐसा मंदिर भी है जहां लोग चप्पल-सैंडिल, घड़ी व चश्में आदि चीजें चढ़ाते हैं। विदेशी भक्त भी यहां श्रृंगार की सामग्री भेजते हैं।

Jijibai Temple Bhopal: हमारे देश में ऐसे अनेक मंदिर हैं, जिनके साथ कोई न कोई विशेषता जरूर जुड़ी हुई है। ऐसा ही एक मंदिर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी है। यहां स्थित देवी मंदिर में भक्त प्रसाद या चुनरी नहीं बल्कि चप्पल, सैंडिल, घड़ी और चश्में आदि चीजें चढ़ाते हैं। इस मंदिर में देवी को बाल स्वरूप में पूजा जाता है इसलिए भक्त देवी को अपनी पुत्री मानकर अलग-अलग चीजें चढा़ते हैं। जानें कौन-सा है ये मंदिर और इससे जुड़ी रोचक बातें…

कौन-सा है देवी का ये अनोखा मंदिर?

भोपाल के कोलार क्षेत्र में पहाड़ी के ऊपर देवी का ये मंदिर स्थापित है। यहां माता सिद्धिदात्री की पूजा बाल रूप में की जाती है। इस मंदिर को जीजीबाई माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। बाल रूप में होने के कारण ही भक्त देवी को अपनी बेटी मानकर पूजा करते हैं और उन्हें चप्पल, सेंडिल, घड़ी व चश्में आदि चीजें चढ़ाते हैं, जिससे देवी की कृपा उनके ऊपर बनी रहे। विदेश से भी देवी के लिए श्रृंगार की सामग्री भक्त यहां भेजते हैं।

क्या है जीजीबाई मंदिर का इतिहास?

जीजाबाई माता मंदिर का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है। बताया जाता है कि इस मंदिर की स्थापना लगभग 30 साल पहले पंडित ओमप्रकाश ने की थी। उन्होंने ही देवी के इस बाल रूप की यहां स्थापना की। धीरे-धीरे इस मंदिर की प्रसिद्धि फैलती गई और भक्तों की मनोकामनाएं भी पूरी होने लगी। अब यहां रोज हजारों भक्त रोज माता के बाल रूप के दर्शन करने आते हैं। नवरात्रि में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

15 लाख बार हो चुका देवी का श्रृंगार

ऐसी भी मान्यता है कि देवी कईं बार अपने भक्तों से नाराज हो जाती हैं तब उन्हें मनाने के लिए दिन में कईं बार विशेष श्रृंगार किया जाता है और आधुनिक साज-सज्जा की चीजें भी अर्पित की जाती हैं। बेटी की सेवा में कोई कमी न रह जाए, इस बात का यहां खास ध्यान रखा जाता है। कहते हैं कि अब तक देवी का 15 लाख से ज्यादा श्रृंगार किया जा चुका है, जो अपने आप में एक रिकार्ड है। भक्त जो भी चप्पल और सैंडिल यहां देवी को चढ़ाते हैं, उन्हें बाद में जरूरतमंदों को दे दिया जाता है।


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