
Vastu Rules for Lord Ganesha Idol: घर में भगवान की मूर्ति रखना शुभ होता है, लेकिन अगर आप मुख्य द्वार पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करना चाहते हैं, तो इससे जुड़े वास्तु नियमों को समझना जरूरी है। कुछ वास्तु नियमों का विशेष ध्यान रखने से घर में सकारात्मकता आ सकती है। आइए मुख्य द्वार पर गणेश जी की मूर्ति रखने से जुड़े वास्तु नियमों के बारे में विस्तार से जानें।
ऐसा माना जाता है कि गणेश जी की मूर्ति का मुख दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से घर में नकारात्मकता आ सकती है। अगर मुख्य द्वार दक्षिण दिशा में है, तो मूर्ति को इस तरह रखें कि उसका मुख घर के अंदर की ओर हो। गणेश जी की मूर्ति को पश्चिम दिशा में रखने से बचें। वास्तु के अनुसार, मुख्य द्वार पर गणेश जी की मूर्ति रखने के लिए उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा सबसे शुभ मानी जाती है।
वास्तु के अनुसार, गणेश जी की मूर्ति की पीठ कभी भी अंदर की ओर नहीं होनी चाहिए। यह अशुभ माना जाता है और घर में दरिद्रता लाता है।
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वास्तु के अनुसार, मुख्य द्वार पर बैठी हुई गणेश जी की मूर्ति रखने से घर में समृद्धि, स्थिरता और शांति आती है। खड़ी गणेश जी की मूर्ति स्थापित करने से सकारात्मक ऊर्जा का निरंतर प्रवाह बना रहता है।
वास्तु के अनुसार, गणेश जी की मूर्ति को शौचालय के पास या किसी अशुद्ध स्थान पर रखने से बचें। इससे गणेश जी का अपमान होता है और घर में नकारात्मक ऊर्जा फैलती है। यदि मुख्य द्वार की दीवार खुरदरी, गंदी, टूटी हुई या दरार वाली है, तो गणेश जी की मूर्ति या चित्र लगाने से बचें।
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गणेश जी की मूर्ति की सूंड का सही दिशा में होना बहुत जरूरी है। अगर आप घर के मुख्य द्वार पर बाईं ओर मुड़ी हुई सूंड वाली गणेश जी की मूर्ति स्थापित करते हैं, तो इससे घर में सकारात्मकता बनी रहती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
Disclaimer: इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।