
Fifth day of Jagannath Rath Yatra 2025: आषाढ़ मास में निकलने वाली भगवान जगन्नाथ की प्रसिद्ध रथयात्रा इस बार 27 जून से शुरू हो चुकी है। भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर यानी गुंडिचा मंदिर पहुंच चुके हैं। रथयात्रा के पांचवें दिन यहां हेरा पंचमी की परंपरा निभाई जाती है जो बहुत ही रोचक है। इस परंपरा के अंतर्गत देवी लक्ष्मी नाराज होकर भगवान जगन्नाथ के रथ का पहिया तोड़ देती हैं फिर भगवान उन्हें मनाते हैं। आगे जानिए क्या है हेरा पंचमी की ये रोचक परंपरा…
इस बार हेरा पंचमी 1 जुलाई, मंगलवार को है। स्थानीय मान्यता के अनुसार, जब भगवान जगन्नाथ देवी लक्ष्मी को बिना बताए अपने भाई-बहन के साथ अपनी मौसी के घर चले जाते हैं तो ये देख देवी लक्ष्मी बहुत नाराज होती हैं और वे उन्हें ढूंढते हुए गुंडिचा मंदिर पहुंचती है। गुस्से में आकर देवी लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ के रथ का एक पहिया तोड़ देती हैं और हेरा गोहिरी साही में बने अपने मंदिर में पुन: लौट आती हैं।
जब भगवान जगन्नाथ को पता चलता है कि देवी लक्ष्मी नाराज हो गई हैं तो वे उन्हें मनाने के लिए कईं तरह की कीमती भेंट और मिठाई देते हैं। इन मिठाइयों में रसगुल्ले विशेष रूप से होते हैं। भगवान जगन्नाथ द्वारा दिए गए उपहार व रसगुल्ला पाकर देवी लक्ष्मी की नाराजगी दूर हो जाती है लेकिन वे ये शर्त भी रखती हैं आगे से ऐसी गलती नहीं होनी चाहिए। भगवान जगन्नाथ भी इनकी बात मान लेते हैं। इसी परंपरा को हेरा पंचमी कहते हैं।
इस बार भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा 27 जून से शुरू हो चुकी है, जो 5 जुलाई को वापस पहुंचेगी। इन 8 दिनों तक भगवान विष्णु अपनी मौसी के घर यानी गुंडिचा मंदिर में विश्राम करेंगे। हेरा पंचमी की परंपरा इसी दौरान निभाई जाती है जो बताती है कि पति को गृहस्थ धर्म का पालन करते हुए अपने पत्नी को हर जरूर बात बतानी चाहिए और ऐसा न करने पर पत्नी को रूठने का पूरा हक है। साथ ही ये परंपरा ये भी बताती है कि पति के मनाने पर पत्नी को मान जाना चाहिए। गृहस्थ धर्म इसी तरह सुख से चल सकता है। यहां भगवान भी गृहस्थ धर्म का पालन करते हुए मनुष्यों को इस बात की सीख दे रहे हैं। इसी परंपरा को हेरा पंचमी का नाम से जाना जाता है।
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