
Nirjala Ekadashi Ka Vart Kab Kare: ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम निर्जला है। साल भर की सभी 24 एकादशी में से इसका महत्व सबसे ज्यादा माना गया है, इसलिए इसे साल की सबसे बड़ी एकादशी कहते हैं। स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने इसका महत्व पांडवों को बताया था। इस एकादशी में पानी भी नहीं पिया जाता, इसलिए इसका नाम निर्जला है यानी बिना पानी के। आगे जानिए जून 2025 में कब किया जाएगा निर्जला एकादशी व्रत और इसका महत्व…
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 05 जून, गुरुवार की रात 02 बजकर 16 मिनिट से शुरू होगी जो 07 जून, शनिवार की सुबह 04 बजकर 48 मिनिट तक रहेगी। यानी 6 जून, शुक्रवार को सूर्योदय एकादशी तिथि में होगा और दिन भर भी यही तिथि रहेगी, जिसके चलते निर्जला एकादशी का व्रत इसी दिन किया जाएगा। 6 जून को अमृत और वरियान नाम के 2 शुभ योग भी रहेंगे, जिसके चलते इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है।
धर्म ग्रंथों में निर्जला को सबसे बड़ी एकादशी कहा गया है, इसके पीछे एक खास वजह है। अन्य एकादशी पर एक समय फलाहार किया जा सकता है लेकिन निर्जला एकादशी पर फलाहार तो दूर पानी तक पीना निषेध हैं। इस एकादशी पर किया जाने वाला व्रत सबसे कठिन माना गया है क्योंकि ज्येष्ठ मास की गर्मी में बिना पानी पीए दिन भर रहना बहुत कठिन है। अगर कोई व्यक्ति निर्जला एकादशी का व्रत पूरे विधि-विधान और श्रद्धा से कर ले तो उसे पूरे साल की एकादशी का फल मिल जाता है।
निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। महाभारत के अनुसार, पांडु पुत्र भीम अपनी भूख पर काबू नहीं रख पाते थे, इसलिए वे साल भर की 24 में से सिर्फ निर्जला एकादशी पर ही व्रत रखते हैं, जिससे उन्हें पूरे साल की एकादशी का फल मिल जाता था। इसलिए इस एकादशी का एक नाम भीमसेनी एकादशी भी है।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो ज्योतिषियों द्वारा बताई गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।