
Shani Jayanti 2025 Date: नवग्रहों में शनि का प्रमुख स्थान है। शनिदेव को न्यायाधीश भी कहते हैं। मान्यता है कि शनिदेव ही हर प्राणी को उसके अच्छे-बुरे कर्मों का फल देते हैं। हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है। साल भर में सिर्फ यही एक दिन होता है जब शनिदेव से संबंधित कोई त्योहार मनाया जाता है। इसलिए इसका विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। आगे जानिए 2025 में कब है शनि जयंती, क्यों मनाते हैं ये पर्व…
इस बार ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि 2 दिन रहेगी, जिसके चलते लोगों के मन में शनि जयंती की सही डेट को लेकर असमंजस की स्थिति बन रही है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि 26 मई, सोमवार की दोपहर 12:12 से शुरू होगी, जो 27 मई, मंगलवार की सुबह 08:32 तक रहेगी। चूंकि अमावस्या तिथि का सूर्योदय 27 मई को होगा, इसलिए इसी दिन शनि जयंती का पर्व मनाया जाएगा।
सुबह 09:04 से 10:44 तक
सुबह- 10:44 से दोपहर 12:24 PM
सुबह 11:57 से दोपहर 12:50 तक (अभिजीत मुहूर्त)
दोपहर 12:24 से 02:03 तक
दोपहर 03:43 से 05:22 तक
27 मई, मंगलवार को कईं शुभ योग बनेंगे, जिसके चलते इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन सुकर्मा, धृति और मातंग नाम के शुभ योग रहेंगे। वहीं सर्वार्थसिद्धि नाम का शुभ योग भी कुछ देर के लिए सुबह बनेगा। मंगलवार को अमावस्या तिथि का संयोग होने से ये भौमवती अमावस्या कहलाएगी। भौमवती अमावस्या का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है।
शनि जयंती से जुड़ी एक कथा धर्म ग्रंथों में बताई गई है। उसके अनुसार, भगवान सूर्य का विवाह देवताओं के शिल्पी विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा से हुआ था। संज्ञा से सूर्यदेव को यम नाम का पुत्र और यमुना नाम की कन्या हुई। सूर्यदेव का तेज बहुत ज्यादा होने से संज्ञा उसे सहन नहीं कर पा रही थी जिसके चलते उन्होंने अपनी छाया को सूर्यदेव की सेवा में छोड़ दिया और स्वयं तपस्या करने चली गई। सूर्यदेव और छाया के मिलन से शनिदेव का जन्म हुआ। ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनिदेव का जन्म हुआ था, इसलिए हर साल इस तिथि पर शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो ज्योतिषियों द्वारा बताई गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।