भविष्य के बारे में सोचें, लेकिन कोई काम भविष्य पर न टालें, परेशानी से बचने की ऐसी ही 5 नीतियां

Published : Nov 29, 2019, 09:13 AM IST
भविष्य के बारे में सोचें, लेकिन कोई काम भविष्य पर न टालें, परेशानी से बचने की ऐसी ही 5 नीतियां

सार

धर्म ग्रंथों के अनुसार, शुक्राचार्य दैत्यों के गुरु थे, साथ ही अच्छे नीतिकार भी थे। शुक्राचार्य की नीतियां आज के समय में भी प्रासंगिक हैं।

उज्जैन. शुक्रनीति में कुछ ऐसी बातें बताई गई हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर किसी भी परेशानी से बचा जा सकता है। आज हम आपको शुक्रनीति की कुछ ऐसी ही नीतियों के बारे में बता रहे हैं…

1. भविष्य की सोचें, लेकिन भविष्य पर न टालें
नीति- दीर्घदर्शी सदा च स्यात, चिरकारी भवेन्न हि। 
अर्थ- मनुष्य को भविष्य की योजनाएं अवश्य बनाना चाहिए। उसे यह ध्यान रखना चाहिए कि आज वह जो भी कार्य कर रहा है उसका भविष्य में क्या परिणाम होगा। साथ ही जो काम आज करना है उसे आज ही करें। आलस्य करते हुए उसे भविष्य पर कदापि न टालें। 

2. मित्र बनाते समय सावधानी रखें 
नीति- यो हि मित्रमविज्ञाय यथातथ्येन मन्दधिः। मित्रार्थो योजयत्येनं तस्य सोर्थोवसीदति।। 
अर्थ- मनुष्य को अपने मित्र बनाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। बिना सोचे-समझे किसी से भी मित्रता कर लेना आपके लिए कई बार हानिकारक भी हो सकता है, क्योंकि मित्र के गुण-अवगुण, उसकी अच्छी-बुरी आदतें हम पर समान रूप से असर डालती है। 

3. हद से ज्यादा किसी पर भरोसा न करें 
नीति- नात्यन्तं विश्वसेत् कच्चिद् विश्वस्तमपि सर्वदा। 
अर्थ- शुक्र नीति कहती है किसी व्यक्ति पर विश्वास करें, लेकिन उस विश्वास की भी कोई सीमा होनी चाहिए। शुक्राचार्य ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति पर हद से ज्यादा विश्वास करना घातक हो सकता है। कई लोग ऊपर से आपके भरोसेमंद होने का दावा करते हैं लेकिन भीतर ही भीतर आपसे बैर भाव रख सकते हैं। 

4. मनुष्य को सम्मान धर्म से प्राप्त होता है 
नीति- धर्मनीतिपरो राजा चिरं कीर्ति स चाश्रुते। 
अर्थ- हर व्यक्ति को अपने धर्म का सम्मान और उसकी बातों का पालन करना चाहिए। जो मनुष्य अपने धर्म में बताए अनुसार जीवनयापन करता है उसे कभी पराजय का सामना नहीं करना पड़ता। धर्म ही मनुष्य को सम्मान दिलाता है।

5. बुरे काम करने वाला कितना भी प्रिय क्यों न हो, उसे छोड़ देना चाहिए
नीति- त्यजेद् दुर्जनसंगतम्।
अर्थ- कई बार हमारे बहुत करीबी लोग बुरे काम करने वाले होते हैं। सबकुछ जानते हुए भी हम ऐसे लोगों से मोह रखते हैं। शुक्राचार्य ने कहा है कि बुरे काम करने वाला व्यक्ति कितना भी प्रिय क्यों न हो, उसे छोड़ देना ही बेहतर है। नहीं तो उसकी वजह से आप मुसीबत में फंस सकते हैं।

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