Bhai Dooj Kab Hai: 2 दिन मनाया जाएगा भाई दूज पर्व, जानें विधि, मुहूर्त, कथा और महत्व

Bhai Dooj Kab Hai: हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। ये भाई-बहन के निश्चल प्रेम का प्रतीक है। इस बार ये पर्व एक नहीं बल्कि 2 दिनों तक मनाया जाएगा। ऐसा तिथियों में घट-बढ़ के कारण होगा।  

Manish Meharele | Published : Oct 25, 2022 11:38 AM IST

उज्जैन. इस बार भाई दूज  (Bhai Dooj 2022) पर्व को लेकर काफी असमंजस की स्थिति बन रही है। कुछ विद्ववानों का मानना है कि इस बार भाई दूज का पर्व 26 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जाएगा तो कुछ का कहना है कि 27 अक्टूबर, गुरुवार को ये पर्व मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों को घर बुलाकर भोजन करवाती हैं और तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। भाई अपनी बहनों को उपहार देकर उसके सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद देते हैं। इस त्योहार को भाई दूज या भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया कई नामों से जाना जाता है। 

जानें भाई दूज के दोनों दिनों के शुभ मुहूर्त (Bhai Dooj Kab Hai)
पंचांग के अनुसार, 26 अक्टूबर, बुधवार को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि दोपहर 02.43 से शुरू होगी। इस दिन भाई को तिलक करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 01:12 से 03:27 मिनट तक रहेगा। वहीं शाम को 07:17 से रात 08:53 के बीच यमराज के निमित्त दीपदान कर सकते हैं। 27 अक्टूबर, गुरुवार को भाईदूज का शुभ मुहूर्त सुबह 11.07 मिनट से दोपहर 12.46 तक रहेगा।

भाई दूज की पूजा विधि (Bhai Dooj 2022 Puja Vidhi)
भाई दूज पर शाम को शुभ मुहूर्त में बहन-भाई यमराज, चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करें तथा सबको अर्घ्य दें। बहन भाई की आयु-वृद्धि के लिए यम की प्रतिमा का पूजन कर प्रार्थना करें। इसके बाद बहन भाई को भोजन कराए और तिलक लगाए। इसके बाद भाई अपनी बहन को अपनी इच्छा अनुसार उपहार दें। इस दिन बहन अपने हाथ से भाई को भोजन कराए तो उसकी उम्र बढ़ती है और उसके जीवन के कष्ट दूर होते हैं।

यमुना और यमराज की पूजा का खास महत्व... (Bhai Dooj Katha)
प्रचलित कथाओं के अनुसार, एक बार यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने धरती पर आए। उस दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि थी। भाई को आया देख यमुना ने उन्हें भोजन कराया और तिलक लगाकर आदर-सत्कार किया। बहन का प्रेम देखकर यमराज ने कहा कि जो भी व्यक्ति इस तिथि पर यमुना में स्नान करके यम का पूजन करेगा, मृत्यु के बाद उसे यमलोक की यातना नहीं सहनी पड़ेगी। तभी से कार्तिक शुक्ल द्वितिया तिथि को यमुना नदी में स्नान कर यमराज की पूजा करने का विशेष महत्व है। स्कंद पुराण में लिखा है कि यमराज को प्रसन्न करने से पूजन करने वालों की हर कामना पूरी होती है। 


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