Navratri 2022 Parana Time: कब करें नवरात्रि व्रत का पारणा? जानें शुभ मुहूर्त व पूजा विधि

Navratri 2022 Parana Shubh Muhurat: नवरात्रि के दौरान उपवास रखने की परंपरा है। मान्यता है कि ऐसा करने से देवी प्रसन्न होती हैं और भक्तों की हर इच्छा पूरी करती हैं। नवरात्रि के अंतिम दिन या अगले दिन व्रत का पारणा किया जाता है।
 

उज्जैन. नवरात्रि के दौरान अनेक परंपराओं का पालन किया जाता है। उपवास भी इनमें से एक है। देवी की कृपा पाने के लिए नवरात्रि में साधक उपवास रखते हैं। कुछ लोग नवरात्रि में एक समय भोजन करते हैं तो कुछ सिर्फ फलाहार ही करते हैं। नवरात्रि के बाद व्रत का पारणा किया जाता है। कुछ लोग नवरात्रि के अंतिम दिन शाम को पारणा कर लेते हैं तो कुछ अगले दिन यानी दशहरे की सुबह। व्रत का पारणा परिवार की परंपरा के अनुसार किया जाता है। आगे जानिए कैसे करें व्रत का पारणा और शुभ मुहूर्त की जानकारी…

नवरात्रि पारण कब करें? (Navratri 2022 Parana Time)
धर्म ग्रंथों में नवरात्रि व्रत पारणा को लेकर कई बातें बताई गई हैं। निर्णय-सिन्धु ग्रंथ के अनुसार नवरात्रि व्रत पारण के लिए सबसे उपयुक्त समय नवमी तिथि के समाप्त होने के बाद दशमी तिथि की शुरुआत को माना गया है। नवरात्रि का व्रत प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक करना चाहिए। तभी वह पूर्ण माना जाता है।
अथ नवरात्रपारणनिर्णयः। सा च दशम्यां कार्या॥

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ये हैं पारणा के शुभ मुहूर्त (Navratri 2022 Parana Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 04 अक्टूबर, मंगलवार की दोपहर 02:21 तक रहेगी, इसके बाद दशमी तिथि आरंभ शुरू हो जाएगी, जो 5 अक्टूबर, बुधवार की दोपहर 12 बजे तक रहेगी। जिन परिवारों में नवमी तिथि पर कुलदेवी की पूजा की जाती है वे पूजा के बाद व्रत का पारणा कर सकते हैं। जिन परिवारों में दशमी तिथि पर पारणा का नियम है वो 5 अक्टूबर, बुधवार की सुबह पारण कर सकते हैं। इस दिन व्रत का पारणा का शुभ मुहूर्त सुबह 07.44 से 09.13 बजे तक रहेगा। 

इस विधि से करें नवरात्रि व्रत का पारणा (Navratri 2022 Parana Vidhi)
नवमी या दशमी तिथि पर जब भी आप पारणा करना चाहते हैं उस समय पहले देवी की पूजा करें। देवी को हलवे या खीर का भोग लगाएं। इसके बाद देवी से व्रत के दौरान जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए प्रार्थना करें। संभव हो तो किसी एक ब्राह्मण को भोजन करवाएं। उसे दान-दक्षिणा देकर विदा करें। इसके बाद जो भोग माता को लगाया है, उसे प्रसाद रूप में ग्रहण करें। इस प्रकार विधि-विधान से नवरात्रि व्रत का पारणा करने से माता प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।


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