Pradosh Vrat Januray 2023: नए साल का पहला प्रदोष व्रत 4 जनवरी को, जानें शुभ योग, मुहूर्त व विधि

Published : Jan 04, 2023, 06:00 AM IST
Pradosh Vrat Januray 2023: नए साल का पहला प्रदोष व्रत 4 जनवरी को, जानें शुभ योग, मुहूर्त व विधि

सार

Budh Pradosh Januray 2023: प्रदोष व्रत हर महीने में दो बार किया जाता है। इस बार साल 2023 का पहला प्रदोष व्रत 6 जनवरी, बुधवार को है। बुधवार को प्रदोष तिथि होने से ये बुध प्रदोष कहलाएगा। इस दिन और भी कई शुभ योग बनेंगे।   

उज्जैन. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महीने में कई व्रत-उपवास किए जाते हैं। प्रदोष व्रत भी इनमें से एक है। ये व्रत महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी यानी तेरस तिथि पर किया जाता है। (Pradosh Vrat Januray 2023) इस बार 4 जनवरी, बुधवार को पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का संयोग बन रहा है। ये साल 2023 का पहला प्रदोष व्रत है। इस दिन कई शुभ योग भी बनेंगे। आगे जानिए प्रदोष व्रत की पूजा विधि, शुभ योग, मुहूर्त व अन्य खास बातें…

बुध प्रदोष पर कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे? (Budh Pradosh Muhurat Januray 2023)
पंचांग के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 4 जनवरी, बुधवार को पूरे दिन रहेगी। बुधवार को पहले रोहिणी नक्षत्र होने से शुभ और इसके बाद मृगशिरा नक्षत्र होने से अमृत नाम के 2 शुभ योग बनेंगे। इनके अलावा शुक्ल और सर्वार्थसिद्धि नाम के 2 अन्य शुभ योग भी इस दिन रहेंगे। इस तरह 4 शुभ योगों में बुध प्रदोष का व्रत किया जाएगा। इन शुभ योगों के चलते इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है।

ये है प्रदोष की पूजा विधि  (Budh Pradosh Puja Vidhi)
- 4 जनवरी, बुधवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद संकल्प लें और दिन भर कुछ खाए-पीएं नहीं। शाम को भगवान शिव की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित कर गाय के दूध से इसका अभिषेक करें।
- इसके बाद शुद्ध जल से अभिषेक करें। शिवलिंग के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं और भांग, धतूरा, सफेद चंदन, फल, फूल, धूप आदि चढ़ाएं। इस दौरान ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। 
- शिवजी को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं और आरती करें। संभव हो तो रात्रि में जागरण करें। इस व्रत से शिवजी की कृपा हम पर बनी रहती है।

किन लोगों को जरूर करना चाहिए प्रदोष व्रत?
ज्योतिषियों के अनुसार, जिस लोगों की कुंडली में चंद्रमा अशुभ स्थिति में हो, उन्हें प्रदोष व्रत विशेष रूप से करना चाहिए। कथा के अनुसार, जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने कुष्ठ रोग का श्राप दिया था, उस समय शिवजी की कृपा से ही चंद्रमा पुन: स्वस्थ हुए थे। उस दिन प्रदोष तिथि ही थी। इसलिए जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा अशुभ स्थिति में हो, उन्हें प्रदोष व्रत विशेष रूप से करना चाहिए।


 

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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे। 

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