Vinayaki Chaturthi December 2022: कब है 2022 की अंतिम विनायकी चतुर्थी? जानें पूजा विधि व शुभ मुहूर्त

Vinayaki Chaturthi December 2022: भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने लिए हर महीने कई व्रत-उपवास किए जाते हैं। विनायकी चतुर्थी भी इनमें से एक है। ये व्रत करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
 

Manish Meharele | Published : Dec 22, 2022 11:14 AM IST

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायकी चतुर्थी (Vinayaki Chaturthi December 2022) व्रत किया जाता है। इस व्रत में भगवान श्रीगणेश की पूजा की जाती है। इस बार पौष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 दिसंबर, सोमवार को है। ये साल 2022 की अंतिम चतुर्थी तिथि रहेगी। इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है। आगे जानिए इस दिन कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे और पूजा विधि आदि…

विनायकी चतुर्थी पर बनेंगे ये शुभ योग
पंचांग के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 दिसंबर, सोमवार की सुबह 04:51 से रात 01:38 तक रहेगी। इस दिन श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्र होने से सिद्धि और शुभ नाम का योग दिन भर रहेंगे। इनके अलावा सर्वार्थसिद्धि और हर्षण नाम के 2 अन्य शुभ योग भी इस दिन बनेंगे। इस तरह ये व्रत 4 शुभ योग में किया जाएगा, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है।

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इस विधि से करें भगवान श्रीगणेश की पूजा (Vinayaki Chaturthi December 2022 Puja Vidhi)
- 26 दिसंबर, सोमवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और इसके बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर कुछ खाएं नहीं, ऐसा करना संभव न हो तो एक समय फलाहार कर सकते हैं।
- दिन भर कोई बुरा विचार भी मन में लाएं। शाम को हाथपैर धोकर पुन: शुद्ध हो जाएं तो घर में किसी साफ स्थान पर एक चौकी या पटिया लगाएं और इसके ऊपर भगवान श्रीगणेश का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें।
- सबसे पहले श्रीगणेश को कुमकुम से तिलक लगाएं और पुष्पमाला पहनाएं। इसके बाद शुद्ध घी का दीपक जलाने के बाद एक-एक करके पूजा सामग्री- अबीर, गुलाल, कुंकुम, चंदन आदि चीजें चढ़ाते रहें।
-  इसके बाद भगवान श्रीगणेश को मौसमी फल व पकवानों का भोग लगाएं। दूर्वा भी विशेष रूप से अर्पित करें। चंद्रमा उदय होने पर अर्घ्य दें और इसके बाद ही स्वयं भोजन करें। 

भगवान श्रीगणेश की आरती (Lord Ganesha Aarti)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

 

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