
शतरंज जो आज भी तमाम लोगों के जहन में करियर की बजाय शौक के रूप में आता है। वहीं शतरंज जो वास्तव में आज भी उत्तर में अपनी वैधता को लेकर संघर्ष कर रहा है। जबकि दक्षिण में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। देखा जाए तो उत्तर और दक्षिण भारत के बीच बहुत बड़ा सांस्कृतिक अंतर भी है। अगर दक्षिण की बात हो तो यहां एक अरबपति भी चप्पल पहनकर बस स्टॉप पर खड़ा दिखाई देता है, जबकि उत्तर में 5 करोड़ रुपये वाले व्यक्ति को भी राजसी सम्मान दिया जाता है।