
Elon Musk Impact on Technology : आज, 28 जून 2025 को टेक किंग और दुनिया के सबसे इनोवेटिव माइंड एलन मस्क का 54वां जन्मदिन (Elon Musk Birthday 2025) है। कल्पना कीजिए कि अगर वो धरती पर कभी पैदा ही नहीं होते तो टेक वर्ल्ड कैसा होता? अगर टेस्ला (Tesla) की गाड़ियां कभी सड़कों पर न आतीं? स्पेसएक्स (SpaceX) कभी मंगल की ओर न उड़ता? X (Twitter) की डायलॉगशीट कभी रीसेट न होती? और सबसे जरूरी एलन मस्क नाम का जुनूनी सपना देखने वाला इंसान ही न होता? टेक्नोलॉजी की वो दुनिया कैसी होती जहां एलन मस्क जैसा विजनरी है। आइए आज उनके बर्थडे पर एक ऐसी टेक्नोलॉजिकल टाइमलाइन की कल्पना करते हैं, जब मस्क दुनिया में कभी जन्मे ही नहीं होते तो क्या होता?
आज मस्क की टेस्ला ने ऑटो इंडस्ट्री को बदलने का तरीका ही बदल दिया है। उन्होंने इलेक्ट्रिक गाड़ियों को ग्लैमर, पावर और स्पीड दी। अगर वो न होते, तो शायद इलेक्ट्रिक कारें आज भी स्लो EV कहलातीं या फिर 2025 में भी गाड़ियां पेट्रोल-डीजल के भरोसे चलतीं। फ्यूल की खपत शायद दोगुनी होती। न ही ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर इतना तेजी से फैलता। हो सकता है कि 2030 में भी 80% लोग डीजल गाड़ियां चलाते।
स्पेसएक्स ने रॉकेट लॉन्च को ना सिर्फ सस्ता किया, बल्कि री-यूजेबल (Reusable) बना दिया। मस्क न होते तो मार्स मिशन एक सपना ही रहता। NASA को अपने मिशन में अरबों डॉलर खर्च करने पड़ते और चांद तक ही सीमित रहना पड़ता। कोई प्राइवेट कंपनी कभी भी शायद ही इंसान को अंतरिक्ष में भेजने की हिम्मत जुटा पाती।
न्यूरालिंक (Neuralink) भले ही कॉन्ट्रोवर्सी में रहती है, लेकिन ब्रेन और मशीन को जोड़ने की सोच पहली बार एलन मस्क ने ही मुमकिन की। बिना मस्क शायद ही ब्रेन-चिप की रिसर्च को कोई हाथ भी न लगाता। OpenAI शायद उतनी पॉपुलर न होती क्योंकि एलन मस्क इसके फाउंडर्स में थे। AGI यानी सुपरह्यूमन AI पर डिबेट अभी भी कॉलेज लैब्स में होता।
ट्विटर खरीदकर उसे X नाम देकर एलन मस्क ने फ्री स्पीच का अखाड़ा बनाया। उनके बिना शायद प्लेटफॉर्म अभी भी पॉलिटिकल करेक्ट्नस (Political Correctness) में ही फंसा होता। कंटेंट मॉडरेशन और फ्री स्पीच की बहस कहीं गुम हो जाती। Meme कल्चर और Dogecoin जैसी चीजें शायद ही कभी मेनस्ट्रीम में होतीं।
एलन मस्क ने इनके अलावा भी कई कंपनियों में काफी योगदान दिया है, जिनमें से कुछ आज भी रन हो रही हैं लेकिन उनका सबसे बड़ा योगदान सिर्फ ये कंपनियां नहीं हैं, बल्कि ये भरोसा है कि कोई भी आम इंसान, असंभव को भी संभव बना सकता है। साउथ अफ्रीका (South Africa) से एक टीनएजर आया और दुनिया की टेक दिशा बदल दी। वो रिस्क लेता रहा, तमाम तरह की समस्याओं के बावजूद कभी नहीं रूका और करोड़ों युवाओं को सिखाया कि 'चांद से आगे भी रास्ते हैं।'