दिल्ली की मुफ्त बिजली स्कीम का सच? अजय माकन ने केजरीवाल सरकार पर लगाए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

पूर्व बिजली मंत्री माकन ने कहा कि अबतक दी गई 14,731 करोड़ की सब्सिडी में से 5 हजार करोड़ रु का कोई हिसाब नहीं है। 

 

Piyush Singh Rajput | Published : Nov 22, 2022 1:35 PM IST / Updated: Nov 22 2022, 07:16 PM IST

ट्रेंडिंग डेस्क. वरिष्ठ कांग्रेस नेता अजय माकन ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। माकन ने दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बुकलेट 'केजरीवाल- बिजली के तार से जुड़े भ्रष्टाचार और बेरोजगार ' जारी करते हुए केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा है। माकन ने कहा कि दिल्ली का फ्री बिजली मॉडल भ्रष्टाचार का मॉडल है। इसमें सब्सिडी के नाम पर 14,731 करोड़ का संदिग्ध डिस्काउंट देकर एक बड़ा घोटाला किया है।

बिना ऑडिट 14,731 करोड़ की सब्सिडी

माकन ने आरोप लगाते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी कहती है कि दिल्ली के 90 प्रतिशत घरेलू उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली दी जा रही है, जबकि सच तो ये है कि इन 90 प्रतिशत घरेलू उपभाोक्ताओं को बिना ऑडिट के ही 14,731 करोड़ का डिस्काउंट दे दिया गया। माकन ने आगे कहा कि अगर हम स्वैच्छिक सब्सिडी योजना के आंकड़े देख लें तो केवल 38 लाख उपभोक्ताओं को ये डिस्काउंट दिया गया, जो कुल उपभोक्ताओं का 60 प्रतिशत ही है। इसका यह अर्थ हुआ कि बाकी के एक तिहाई घरेलू उपभोक्ताओं को बिना जाने उनके नाम पर सब्सिडी का पैसा बिजली वितरण कंपनियों को दे दिया गया।

बिजली कंपनी की जगह उपभोक्ता को देनी थी सब्सिडी

पूर्व बिजली मंत्री माकन ने कहा कि अबतक दी गई 14,731 करोड़ की सब्सिडी में से 5 हजार करोड़ रु का कोई हिसाब नहीं है। उन्होंने कहा कि ये महाघोटाला है और इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए। अपने प्रेजेंटेशन में माकन ने बताया कि 19 फरवरी 2018 को डीआईआरसी का सुझाव था कि अगर सभी उपभोक्ताओं का ऑडिट संभव न हो, तो ऐसी स्थिति में बिजली कंपनी को पैसा देने की जगह उपभोक्ता को डायरेक्ट खाते में सब्सिडी देनी चाहिए, पर आम आदमी पार्टी ने ऐसा नहीं किया।

उद्योगों को भी पहुंचा नुकसान

माकन ने आगे बताया कि कैसे कमर्शियल बिजली को लेकर गलत नीतियों की वजह से उद्योगों को भारी नुकसान हुआ और कई उद्योग दूसरे राज्यों में चले गए। उन्होंने पीएफसी रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली में कमर्शियल बिजली सबसे ज्यादा महंगी है। इसकी प्रति यूनिट दर 13 रु है जबकि उत्तराखंड में 6.35, पंजाब में 7.02, हरियाणा में 8.14 और राजस्थान में 9.72 रु प्रति यूनिट है। माकन के मुताबिक आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद दिल्ली और दूसरे राज्यों में कमर्शियल बिजली की दरों में अंतर बढ़ता जा रहा है। इसका सीधा प्रभाव उद्योगों पर पड़ा और कई बड़े-बड़े उद्योग दूसरे राज्यों की ओर पलायन कर गए, जिससे जमकर बेरोजगारी भी फैली। 

37 प्रतिशत उद्योग हुए बंद

पूर्व बिजली मंत्री ने अपनी प्रेजेंटेशन में स्लाइड्स के माध्यम से बताया कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार बनने के बाद 7092 उद्योगों में से 4454 उद्योग ही रह गए। यानी 37 प्रतिशत उद्योग बंद हो गए, जिससे डेढ़ लाख लोगों ने अपनी नौकरियां भी खो दीं। कांग्रेस पार्टी के कार्यकाल से तुलना करते हुए माकन ने कहा कि 2009 से 2014 के बीच मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ रेट 11.93 थी, जो 2015 से 2020 के बीच गिरकर 0.73 प्रतिशत पर आ गई।

 

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