Ambedkar Jayanti: अंबेडकर से जुड़े रोचक फैक्ट: 9 भाषाओं के जानकार थे अंबेडकर, 9 साल की रमा बाई से हुई थी शादी

Ambedkar Jayanti 2022: संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर (Dr Baba Saheb Bhimrao Ambedkar) का जन्मदिवस है। हिंदू धर्म पैदा होने के बाद भी दलित होने के कारण उन्हें अछूत माना गया। बाद मे उन्होंने अपना धर्म बदल लिया था और बोद्ध धर्म अपना लिया था। 

Asianet News Hindi | Published : Apr 14, 2022 6:02 AM IST / Updated: Apr 14 2022, 11:56 AM IST

नई दिल्ली। Ambedkar Jayanti 2022: आज बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर (Dr Baba Saheb Bhimrao Ambedkar) का जन्मदिवस है। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के इंदौर जिले में स्थित महू नगर सैन्य छावनी में हुआ था। वे रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की 14वीं तथा अंतिम संतान थे। उनका परिवार कबीर पंथ को मानता था। अछूत और भेदभाव से तंग आकर बाद में उन्होंने अपना धर्म बदल लिया। बौद्ध धर्म अपनाने के बाद भी उन्होंने अनुसूचित जातियों को उनके अधिकार दिलाने का काम जारी रखा। 

गरीब और अछूत परिवार में पैदा होने के बाद भी उन्होंने संघर्षों के साथ शिक्षा हासिल की। उन्होंने खूब पढ़ाई की और अलग-अलग डिग्रियां हासिल की। सभी धर्मों का उन्होंने अध्ययन किया। विदेशों में पढ़ाई की। आइए जानते हैं, उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य- 

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- बचपन में उनका  नाम भीमराव था। बड़े होने पर वे बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर मशहूर हुए। उन्हें 9 भाषाओं का ज्ञान था। 21 साल की कम आयु में ही सभी धर्मों की जानकारी भी हासिल कर ली थी। 

- उनकी शादी रमा बाई से हुई। शादी के वक्त पत्नी रमा बाई की उम्र सिर्फ 9 साल थी। उनके पास 32 अलग-अलग डिग्रियां थीं। विदेश जाकर इकानॉमिक्स में पीएचडी करने वाले वह भारतीय थे। 

यही नहीं, वह पहले ऐसे दलित बच्चे थे, जिन्हें एलफिंस्टन कॉलेज में एडिमशन मिला था। उन्होंने वकालत का पेशा चुना। दो साल तक वह मुंबई लॉ कॉलेज में प्रिंसिपल भी रहे। 

पहले श्रमिकों से कारखानों में रोज 12 से 14 घंटे तक काम लिया जाता था। अंबेडकर ने इसके विरुद्ध आवाज उठाई और शिफ्ट टाइम 8 घंटे का कराया। 

अंबेडकर ने ही तिरंगे झंडे में अशोक चक्र लगवाया। वह संविधान निर्माण करने वाली समिति के अध्यक्ष थे। वह दूरदर्शी थे और लॉजिकल तथा तथ्यों पर बात करते थे। 

जब उन्हें महसूस हुआ कि वे हिंदू धर्म से जाति प्रथा दूर नहीं कर पाएंगे तो उन्होंने 1956 में धर्म बदलकर बौद्ध धर्म अपना लिया। उनके साथ सैंकड़ों दलित परिवारों ने भी हिंदू धर्म छोड़ बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया था। 

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