Bipin Rawat Dies: कांग्रेस विधायक की बेटी थी CDS की पत्नी मधुलिका रावत, इस राजघराने से था संबंध

मधुलिका के पिता मृग्रेद्र सिंह सक्रिय राजनीति में थे वो कांग्रेस नेता थे। मृगेन्द्र सिंह शहडोल जिले की सोहागपुर विधानसभा सीट से दो बार विधायक थे। वो 1967 में पहली बार विधायक बने थे इसके बाद वो 1972 में भी विधायक निर्वाचित हुए थे।

Asianet News Hindi | Published : Dec 8, 2021 1:12 PM IST

ट्रेंडिंग डेस्क.  तमिलनाडु में कुन्नूर के जंगलों में बुधवार को दोपहर सेना का Mi-17V5 हेलिकॉप्टर क्रैश (helicopter crash) हो गया। इसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (CDS) जनरल बिपिन रावत (cds bipin rawat) उनकी पत्नी मधुलिका (madhulika rawat)  समेत सेना के 14 अफसर सवार थे। हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई है। इस लिस्ट में बिपिन राव और उनकी पत्नी भी शामिल हैं। बिपिन रावत और मधुलिका की शादी 1985 में हुई थी। दोनों की दो बेटियां है। आइए जानते हैं मधुलिका का संबंध किस राज घराने से था और वो कहां कि रहने वाली थीं।  

मधुलिका रावत मध्यप्रदेश के शहडोल जिले की रहने वाली हैं। मधुलिका शहडोल जिले के सोहागपुर की रहने वाली हैं। उनका संबंध रीवा राजघराने से है। मधुलिका के पिता का नाम कुंवर मृगेंद्र सिंह था। उनका संबंध रीवा रियासत से भी था।  

कांग्रेस से विधायक थे मृगेन्द्र सिंह
मधुलिका के पिता मृग्रेद्र सिंह सक्रिय राजनीति में थे वो कांग्रेस नेता थे। मृगेन्द्र सिंह शहडोल जिले की सोहागपुर विधानसभा सीट से दो बार विधायक थे। वो 1967 में पहली बार विधायक बने थे इसके बाद वो 1972 में भी विधायक निर्वाचित हुए थे।

NGO की अध्यक्ष थीं मधुलिका
मधुलिका और बिपिन रावत की दो बेटियां हैं। पत्नी मधुलिका रावत AWWA (आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन) की अध्यक्ष थीं। वह सेना के जवानों की पत्नियों, बच्चों और आश्रितों के कल्याण के लिए काम करती थीं। AWWA भारत के सबसे बड़े NGO में से एक है। मधुलिका रावत कई कल्याणकारी कार्यक्रमों और अभियानों का हिस्सा रही हैं जो वीर नारियों (सेना की विधवाओं) और दिव्यांग बच्चों की सहायता करती हैं।   

बिपिन रावत का परिवार कई पीढ़ियों से भारतीय सेना में सेवाएं दे रहा है। उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत थे जो कई सालों तक भारतीय सेना का हिस्सा रहे। बिपिन रावत के पास अशांत इलाकों में लंबे समय तक काम करने का अनुभव रहा। भारतीय सेना में रहते उभरती चुनौतियों से निपटने, नॉर्थ में मिलटरी फोर्स के पुनर्गठन, पश्चिमी फ्रंट पर लगातार जारी आतंकवाद व प्रॉक्सी वॉर और पूर्वोत्तर में जारी संघर्ष के लिहाज से उन्हें सबसे सही विकल्प माना जाता था।

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