कोरोना में ऑक्सीजन लेते वक्त नहीं रखी सावधानी तो हो सकते हैं ब्लैक फंगस के शिकार, मत करना ये 5 गलतियां

भारत में अचानक ब्लैक फंगस के केस बढ़ने की बड़ी वजह क्या है, इस पर एक्सपर्ट ने बताया कि इसका सबसे बड़ा कारण ऑक्सीजन के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला अशुद्ध पानी है। इस लहर में कई मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी, जिसका परिणाम ये हुआ कि ज्यादा से ज्यादा लोग ब्लैक फंगस का शिकार हुए। इसके अलावा कई मरीजों को ठीक होने के लिए स्टेरॉयड देना पड़ा। ये डायबिटीज सहित लीवर की दिक्कत को बढ़ाता है। ऐसे में ब्लैक फंगस का असर तेजी से होता है। 

Asianet News Hindi | Published : May 21, 2021 5:59 AM IST / Updated: Feb 02 2022, 10:37 AM IST

नई दिल्ली. कोरोना महामारी के बाद ब्लैक फंगस एक बड़ी बीमारी बनकर सामने आया है। पहली की तुलना में कोरोना की दूसरी लहर में ब्लैक फंगस के केस ज्यादा सामने आए हैं। महाराष्ट्र में तो 100 से ज्यादा लोगों की मौत भी हो चुकी है। कई राज्यों में इसे महामारी भी घोषित किया जा चुका है। ऐसे में समझना जरूरी हो जाता है कि आखिर कोरोना के मरीज ब्लैक फंगस के शिकार क्यों हो रहे हैं?

एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट के वीसी और एमडी डॉक्टर रमाकांत पांडा ने ब्लैक फंगस से पूरी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कोरोना से ठीक हुए मरीज ब्लैक फंगस का शिकार बन रहे हैं। डॉक्टर रमाकांत पांडा ने बताया कि किन गलतियों की वजह से ब्लैक फंगस तेजी से फैल रहा है।

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1- लिक्विड ऑक्सीजन रखने का सिलेंडर साफ न हो : मेडिकल ऑक्सीजन और औद्योगिक ऑक्सीजन में बहुत अंतर है। मेडिकल ऑक्सीजन 99.5 प्रतिशत से अधिक शुद्ध होते हैं। जिन सिलेंडरों में लिक्विट ऑक्सीजन रखा जाता है उनकी अच्छी तरीके से सफाई की जानी चाहिए। उन्हें इन्फेक्शन फ्री किया जाना बहुत जरूरी है। 

2- ऑक्सीजन में गंदे पानी का इस्तेमाल करना: रमाकांत पांडा ने बताया कि ब्लैग फंगस से डरने की जरूरी है इस बीमारी को समझना। कोरोना महामारी में ऐसे कई लोग हैं जो अपने प्रियजनों को बचाने के लिए उन्हें ऑक्सीजन सिलेंडर पर रख रहे हैं। ऐसे में अगर ऑक्सीजन देने में गंदे पानी का इस्तेमाल किया गया हो तो ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ जाता है।

 

 

3- मरीज को बहुत दिनों तक ऑक्सीजन पर रखना: कोरोना महामारी में मरीज को बचाने के लिए लंबे समय तक ऑक्सीजन सिलेंडर पर रखना पड़ रहा है। ऐसे में अगर सही तरीके से ऑक्सीजन नहीं दी गई तो मरीज ठीक होने की बजाय तबीयत और भी ज्यादा बिगड़ जाती है। ब्लैग फंगस का असर नाक, सिर, कान या आंखों पर दिखाई देता है। आंख बंद करने पर दर्द होता है। कम दिखाई देने लगता है। ऐसे में आंख निकालने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता है। 

4- ज्यादा स्टेरॉयड लेने से बढ़ता है ब्लैक फंगस का खतरा : मीडिया रिपोर्ट्स में कई एक्सपर्ट्स ने बताया है कि डायबिटीज के मरीज या फिर ज्यादा स्टेरॉयड लेने वाले मरीजों को भी ब्लैक फंगस का खतरा रहता है। संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय देशों में ब्लैक फंगस के केस बहुत कम है। एक्सपर्ट्स ने बताया कि ये कवक पहली बार नहीं आए हैं, बल्कि हमारे आसपास हजारों सालों से है।  

5- एम्फोटेरेसिन बी का इस्तेमाल है खतरनाक : ब्लैक फंगस के इलाज में एम्फोटेरेसिन बी का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन ये भी शरीर को नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में ब्लैक फंगस से बचना है कि ऑक्सीजन देने के दौरान साफ पानी का इस्तेमाल और सही तरीके से स्टेरॉयड का इस्तेमाल ही बचाव है। 

Asianet News का विनम्र अनुरोधः आईए साथ मिलकर कोरोना को हराएं, जिंदगी को जिताएं...। जब भी घर से बाहर निकलें माॅस्क जरूर पहनें, हाथों को सैनिटाइज करते रहें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। वैक्सीन लगवाएं। हमसब मिलकर कोरोना के खिलाफ जंग जीतेंगे और कोविड चेन को तोडेंगे। #ANCares #IndiaFightsCorona

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