
बीजिंग: पैर दर्द के लिए सिक लीव लेने वाले एक युवक को कंपनी ने यह पता चलने पर नौकरी से निकाल दिया कि वह 16,000 कदम चला था। इसके बाद युवक ने कंपनी के खिलाफ शिकायत की और कोर्ट ने उसे मुआवजा देने का आदेश दिया। यह घटना चीन की है। सालों तक चली कानूनी कार्रवाई की शुरुआत 2019 में हुई थी। चेन नाम के युवक को पूर्वी चीन के जिआंगसु प्रांत की एक कंपनी से निकाला गया था। 2019 में, जब युवक कंपनी में काम कर रहा था, तो उसे कमर में तेज दर्द हुआ। इसके चलते उसने दो बार सिक लीव के लिए अप्लाई किया था। सबूत के तौर पर अस्पताल की जांच रिपोर्ट जमा करने पर कंपनी ने छुट्टी दे दी।
लगभग एक महीने आराम करने के बाद चेन काम पर वापस लौटा। लेकिन, काम पर आने के बाद युवक को पैर में दर्द महसूस हुआ और उसने फिर से एक हफ्ते की छुट्टी के लिए अर्जी दी। उसने सिक लीव के लिए यह कारण बताया कि डॉक्टर ने दाहिने पैर में दर्द की वजह से एक हफ्ते आराम करने की सलाह दी है। चेन ने अपनी मेडिकल लीव कई दिनों तक बढ़ा दी। छुट्टी बढ़ाने पर कंपनी ने चेन से ऑफिस आकर अस्पताल के डॉक्यूमेंट्स जमा करने को कहा। जब वह ऑफिस पहुंचा, तो सिक्योरिटी ने उसे अंदर नहीं जाने दिया। कुछ दिनों बाद, कंपनी ने युवक पर बीमारी का झूठा बहाना बनाने का आरोप लगाकर उसे नौकरी से निकाल दिया। इसके बाद, चेन ने लेबर आर्बिट्रेशन में केस फाइल कर दिया। युवक ने कोर्ट में दावा किया कि उसने जो भी छुट्टी ली है, उसके लिए उसके पास पक्के मेडिकल रिकॉर्ड्स हैं।
वहीं, इसके खिलाफ युवक की कंपनी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कंपनी ने कोर्ट के सामने उस दिन के फुटेज पेश किए, जिसमें चेन पैर दर्द की सिक लीव वाले दिन कंपनी की ओर दौड़ता हुआ आ रहा था। कंपनी ने यह सबूत भी दिया कि उस दिन चेन 16,000 से ज्यादा कदम चला था। लेकिन, युवक ने दावा किया कि कंपनी के सबूत मान्य नहीं हैं और उसने कूल्हे और पैर की स्कैन रिपोर्ट सहित अस्पताल के पूरे रिकॉर्ड जमा किए हैं। आखिरकार, कोर्ट को यकीन हो गया कि कंपनी ने युवक को गैर-कानूनी तरीके से निकाला है और उसने कंपनी को मुआवजा देने का निर्देश दिया। कोई एक-दो रुपये नहीं, बल्कि कोर्ट ने कंपनी को 14 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया। खैर, अब युवक इस बात से खुश है कि उसने कंपनी द्वारा गैर-कानूनी तरीके से निकाले जाने पर केस किया और कोर्ट ने उसे मुआवजा दिलाया।