पिता का नाम: बेटी की सुरक्षा के लिए मां ने साड़ी-श्रंगार छोड़ा, शर्ट-लुंगी में पुरूष वेश में ढाबों पर काम किया

Father's day 2022: फादर्स डे पर बच्चों के लिए यह एक अच्छा उदाहरण है कि पिता की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होती है और उनके नहीं रहने पर एक मां ने मिसाल कायम कर यह भूमिका निभाई। 

Asianet News Hindi | Published : Jun 16, 2022 11:52 AM IST

नई दिल्ली। Father's day 2022: एक मां अपनी बेटी को बचाने के लिए, उसे पालने के लिए क्या-क्या सितम नहीं सहती। इस फादर्स डे हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, जो करीब 30 साल तक सबके सामने पुरूष वेश में रहा। हालांकि, इस बात का खुलासा पिछले महीने ही हुआ है, मगर फादर्स डे पर बच्चों के लिए यह एक अच्छा उदाहरण है कि पिता की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होती है और उनके नहीं रहने पर एक मां ने मिसाल कायम कर यह भूमिका निभाई। 

यह मामला है तमिलनाडु के थुथूकुडी जिले का। यहां एक मां ने बेटी को पालने के लिए लोगों के सामने यह दिखाने के लिए वह अकेले नहीं है, उसके पिता मौजूद हैं, वह करीब 30 साल तक साड़ी-श्रंगार छोड़कर पुरूष वेश में लुंगी और शर्ट पहनकर 30 साल तक पुरुषों के बीच ही रही। हैरान करने वाली बात यह कि 30 साल तक किसी को इसका आभास नहीं हुआ कि यह पुरूष नहीं, महिला है। 

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30 साल तक पुरुषों के बीच बेटी का पिता बन रही पेचियाम्मल 
यह मां खुद को पिता साबित करने के लिए पुरुषों के बीच काम करना, पुरुषों के टायलेट में जाना, बस में पुरूष सीट पर सफर करना जैसे तमाम काम करते रहे, जिससे लोगों को अंदाजा होता रहा कि यह लड़की अकेली नहीं है, इसके पिता इसके साथ रहते हैं। इस महिला का नाम पेचियाम्मल है। पिछले महीने उन्होंने इस बात का खुलासा तब किया, जब बेटी की शादी हो गई और वह अपने ससुराल को विदा हो गई। उन्हें जब लगा कि अब बेटी पति के साथ सुरक्षित है, तब अपनी असलियत लोगों के सामने लाई कि वह पिता नहीं मां हैं। 

पिता का नाम और परछाई ही सुरक्षा के लिए काफी है 
दरअसल, थुथूकुडी जिले के कट्नायक्कन पट्टी की रहने वाली पेचियाम्मल की शादी 20 साल की उम्र में एक शख्स से हो गई थी। मगर बदकिस्मती से शादी के 15 दिन बाद उसके पति की हार्ट अटैक से मौत हो गई। वह अभी कुछ सोचती कि आगे क्या करना है, तभी पता चला कि प्रेग्नेंट है। 9 महीने बाद बेटी हुई और अब उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उसी के पास थी, तब एक दिन उसने यह कठोर फैसला लिया कि वह एक पुरूष बनकर लोगों के सामने रहेगी, जिससे बेटी की तरफ कोई आंख उठाकर नहीं देख सके। तो यह जीवन में एक पिता की अहमियत। उनका सिर्फ नाम ही काफी है। उनकी परछाई ही काफी है। 

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