'बेटी की लाश देखकर भी लोग मांगते रहे रिश्वत', बेंगलुरु के भ्रष्टाचार ने एक रिटायर्ड अफसर को रुलाया

Published : Oct 29, 2025, 05:52 PM ISTUpdated : Oct 29, 2025, 06:21 PM IST
File Photo - AI

सार

भारत पेट्रोलियम के रिटायर्ड CFO शिवकुमार के. ने अपनी 34 वर्षीय बेटी की मौत के बाद भ्रष्टाचार के दर्दनाक अनुभव साझा किए। एम्बुलेंस, पुलिस से लेकर श्मशान तक, हर जगह उनसे रिश्वत मांगी गई। उनकी वायरल पोस्ट ने बेंगलुरु में व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड से सीएफओ के पद से रिटायर हुए शिवकुमार के. की एक दिल दहला देने वाली पोस्ट ने सोशल मीडिया यूजर्स को झकझोर कर रख दिया है। अपनी बेटी की अचानक मौत के बाद, उन्हें आम लोगों और सरकारी सिस्टम से जो बुरे अनुभव हुए, उन्होंने उसे अपनी लिंक्डइन पोस्ट में बयां किया। एक पिता के दर्द से भरी यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।

इंसानियत खो चुका बेंगलुरु

उन्होंने लिखा है कि एम्बुलेंस ड्राइवर से लेकर पुलिस तक, उन्हें हर जगह इंसानियत खो चुके ऐसे लोगों का सामना करना पड़ा, जो सिर्फ पैसे मांग रहे थे। 64 साल के शिवकुमार की 34 साल की बेटी अक्षया की 18 सितंबर, 2023 को ब्रेन हैमरेज से घर पर ही मौत हो गई थी। अपनी बेटी की मौत के बाद, उन्होंने शहर के एम्बुलेंस ड्राइवर, पुलिस, श्मशान के कर्मचारी और डेथ सर्टिफिकेट ऑफिसर से मिले बुरे अनुभवों को एक-एक कर गिनाया है।

उन्होंने सबसे दर्दनाक बात यह बताई कि जब उनकी बेटी का शव सामने पड़ा था, तब भी लोग उनसे रिश्वत मांग रहे थे। पुलिस की लापरवाही, भ्रष्टाचार और बीबीएमपी के अधिकारियों की अनदेखी ने एक पिता के दुख को और बढ़ा दिया। आखिर में उनका यह सवाल, "गरीब लोग क्या करेंगे?", दिल को झकझोर देता है।

 

 

झेले ये बुरे अनुभव

उन्होंने बताया कि कैसे कसवनहल्ली से कोरमंगला के सेंट जॉन्स अस्पताल तक जाने के लिए एम्बुलेंस ड्राइवर ने 3,000 रुपये मांगे। कैसे एक पुलिस इंस्पेक्टर ने पोस्टमार्टम के लिए जिद की। बाद में उनके एक पुराने कर्मचारी ने मदद की। बेटी की आंखें दान करने के बाद जब शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया, तो वहां भी पैसे मांगे गए। चार दिनों तक चक्कर कटवाने के बाद पुलिसवाले ने एफआईआर और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए पैसे मांगे। उन्होंने पुलिस स्टेशन के उस कोने में पैसे लिए जहां सीसीटीवी नहीं था। बीबीएमपी ऑफिस में भी अधिकारियों ने रिश्वत मांगी। इस तरह उन्होंने हर जगह भ्रष्टाचार का सामना किया। वह चिंता जताते हैं कि अगर उनके साथ ऐसा हुआ, तो गरीब लोग क्या करेंगे? वह पूछते हैं कि बेंगलुरु को इस बुरी हालत से कौन बचाएगा? शिवकुमार का यह सवाल पूरे बेंगलुरु शहर में गूंज रहा है।

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